वेदांता का कारोबार विभाजन चालू वित्त वर्ष में ही पूरा होने की संभावनाः सीईओ

Edited By Updated: 16 Sep, 2025 05:48 PM

vedanta s business split likely to be completed in the current

वेदांता रिसोर्सेज की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) देशनी नायडू ने मंगलवार को कहा कि भारतीय शाखा वेदांता लिमिटेड का कारोबार विभाजन इस वित्त वर्ष में ही पूरा होने की संभावना है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फिलहाल उनका ध्यान कंपनी के पुनर्गठन पर...

नई दिल्लीः वेदांता रिसोर्सेज की मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) देशनी नायडू ने मंगलवार को कहा कि भारतीय शाखा वेदांता लिमिटेड का कारोबार विभाजन इस वित्त वर्ष में ही पूरा होने की संभावना है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फिलहाल उनका ध्यान कंपनी के पुनर्गठन पर केंद्रित है। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) वेदांता लिमिटेड के प्रस्तावित कारोबार विभाजन पर बुधवार को सुनवाई करने वाला है। इस प्रस्ताव के तहत कंपनी के प्रमुख व्यवसायिक विभागों को अलग-अलग इकाइयों में विभाजित किया जाएगा। 

नायडू ने कहा, ‘‘मैं बेहद आशावादी हूं। फिलहाल मेरा काम संगठन का इस तरह पुनर्गठन करना है जैसे हम पहले ही अलग-अलग कारोबार पर आधारित कंपनी बन चुके हों।'' उन्होंने कहा, ‘‘इस बारे में बुधवार को सुनवाई होने वाली है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह सुनवाई एनसीएलटी की मंजूरी प्रक्रिया की ही दिशा में बढ़ा कदम होगी।'' वेदांता रिसोर्सेज की सीईओ ने कहा कि तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) से संबंधित मामला पहले ही सुलझ चुका है। एनसीएलएटी ने टीएसपीएल के कारोबार को मूल कंपनी वेदांता लिमिटेड से अलग करने को मंजूरी दे दी है। यह आदेश चीन की सेप्को इलेक्ट्रिक पावर कंस्ट्रक्शन कॉर्प के साथ हुए समझौते के बाद आया। सेप्को टीएसपीएल की एक प्रमुख लेनदार थी और 1,251 करोड़ रुपए के बकाया का हवाला देकर उसने कारोबार विभाजन का विरोध किया था।

उन्होंने एक सवाल पर कहा, ‘‘बाजार नियामक सेबी को मौजूदा कारोबार विभाजन योजना पर कोई आपत्ति नहीं है लेकिन उन्होंने बेस मेटल यूनिट के विभाजन को लेकर और जानकारी मांगी है जिसे अब ‘वन प्लस फोर विभाजन' के तहत नहीं किया जा रहा है।'' इस कारोबार विभाजन की मंजूरी के बाद वेदांता के विभिन्न व्यावसायिक विभाग अलग-अलग इकाइयों के रूप में काम करेंगे। पुरानी योजना के तहत कारोबार विभाजन के बाद छह स्वतंत्र कंपनियां बनने वाली थीं लेकिन बाद में इस योजना को संशोधित कर चार स्वतंत्र कंपनियां बनाने का फैसला किया गया। कंपनी ने अपनी बेस मेटल यूनिट को मूल कंपनी में ही बनाए रखने का निर्णय लिया है।

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