Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Apr, 2018 11:38 AM
वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर को मर्जर से पहले करीब 3 अरब डॉलर (लगभग 18,870 करोड़ रुपए) चुकाने होंगे। दूरसंचार विभाग जल्द ही दोनों को बराया राशि चुकाने के लिए कह सकता है
नई दिल्लीः वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर को मर्जर से पहले करीब 3 अरब डॉलर (लगभग 18,870 करोड़ रुपए) चुकाने होंगे। दूरसंचार विभाग जल्द ही दोनों को बराया राशि चुकाने के लिए कह सकता है। विभाग यह रकम लंबित लाइसेंस फीस, स्पैक्ट्रम यूसेज चार्जेज और वन-टाइम स्पेक्ट्रम चार्जेज से जुड़े बकाये के संबंध में मांग सकता है। सूत्रों के अनुसार, विभाग इन दोनों कंपनियों के मर्जर को मंजूरी देने के लिए इस रकम के भुगतान की शर्त रख सकता है।
दोनों कंपनियों का बकाया इतना है बकाया
वोडाफोन इंडिया की लाइसेंस फीस और एसयूसी का बकाया (इन मदों में सीएजी की जुलाई 2017 की रिपोर्ट में दर्ज अतिरिक्त बकाये सहित) करीब 5,532 करोड़ रुपए का है, जबकि इसका वन टाइम स्पैक्ट्रम चार्ज बकाया लगभग 3,600 करोड़ रुपए का है। आइडिया का टोटल लाइसेंस फीस/एसयूसी बकाया (इन मदों में सीएजी की जुलाई 2017 की रिपोर्ट में दर्ज अतिरिक्त बकाये सहित) लगभग 7625 करोड़ रुपए है, जबकि इसका ओटीएससी बकाया 2113 करोड़ रुपए का है।
दूरसंचार विभाग भेजेगा नोटिस
हालांकि दूरसंचार विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि विभाग जल्द ही इन दोनों कंपनियों को करीब 19 हजार करोड़ रुपए के लिए डिमांड नोटिस भेजेगा। अगर लाइसेंस फीस और एसयूसी बकाए को कानूनी रूप से चुनौती दी जाती है तो विभाग वन टाइम स्पेॉैक्ट्रम चार्ज के लिए करीब 5,713 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी की डिमांड करेगा। यह कदम वह टैलीकॉम सेक्टर में मर्जर एंड एक्विजिशन के मौजूदा नियमों के मुताबिक उठाएगा। ऐसा वह ओटीएससी बकाये का मामला कोर्ट में होने के बावजूद करेगा।