Edited By Supreet Kaur,Updated: 07 May, 2018 01:38 PM
दिल्ली हाईकोर्ट ने आज केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने दूरसंचार कंपनी वोडाफोन के साथ एक कर विवाद मामले को अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता अधिकरण ले जाने का विरोध किया था।
नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने आज केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने दूरसंचार कंपनी वोडाफोन के साथ एक कर विवाद मामले को अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता अधिकरण ले जाने का विरोध किया था।
उल्लेखनीय है कि दोनों पक्षों के बीच 2012 में पिछली तिथि से लागू किए गए एक कानून के तहत 11,000 करोड़ रुपए की कर मांग को लेकर विवाद बना हुआ है। न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार अपनी शिकायतों के लिए भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश सुरक्षा समझौते के तहत ब्रिटेन स्थित मध्यस्थता अधिकरण से संपर्क कर सकती है। वोडाफोन ने भारत-ब्रिटेन और भारत-नीदरलैंड द्विपक्षीय निवेश सुरक्षा समझौते के तहत इस संबंध में मध्यस्थता प्रक्रिया शुरु की है।
गौरतलब है कि यह मामला वोडाफोन द्वारा 11 अरब डॉलर में हचिसन टेलीकॉम का अधिग्रहण किए जाने के सौदे से जुड़ा है, जिसमें भारत सरकार की ओर से कंपनी से 11,000 करोड़ रुपए की कर मांग की गई थी। भारत-नीदरलैंड द्विपक्षीय निवेश सुरक्षा समझौते के तहत मध्यस्थता प्रक्रिया के लंबित रहने के बीच ही कंपनी ने 24 जनवरी 2017 को भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय निवेश सुरक्षा समझौते के तहत दूसरी अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता प्रक्रिया भी शुरु कर दी। इसके विरोध में केंद्र सरकार ने अदालत से कहा कि वोडाफोन समूह ने दो मध्यस्थता प्रक्रिया शुरु करके कानून की प्रक्रिया का दुरूपयोग किया है। दूसरी मध्यस्थता प्रक्रिया को चुनौती देते हुए सरकार ने कहा कि दो अलग-अलग निवेश संधियों के तहत गठित दो अलग अधिकरणों से एक ही राष्ट्र के खिलाफ ऐसे मामले में समान राहत की मांग की गई है जो समान कार्रवाई पर आधारित हैं।