वेलकम 2019ः कच्चे तेल की कीमतें नए स्तर पर, पेट्रोल-डीजल में बनी रहेगी कमी !

Edited By Isha,Updated: 29 Dec, 2018 01:43 PM

welcome 2019 crude oil prices reached new levels

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार कम हो रही ऐसे में इसका फायदा आम लोगों को जरूर होगा। अभी फिलहाल  कच्चा तेल 55 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे हैं ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दामों में...

बिजनेस डेस्कः अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार कम हो रही ऐसे में इसका फायदा आम लोगों को जरूर होगा। अभी फिलहाल  कच्चा तेल 55 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे हैं ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दामों में कमी बनी रहेगी। इन सबके चलते नए साल में आपको 4 बड़े फायदे होने वाले है।
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रूपए में बनी रहेगी तेजी
कच्चे तेल की कीमतों में कमी के कारण भारतीय रुपया 2019 की पहली तिमाही तेजी रहने का अनुमान लगाया जा रहा। बाजार के जानकारों का मानना है कि रुपया 2018 के मुकाबले 2019 में कारोबारियों के साथ-साथ आम आदमी को ज्यादा खुशी देगा। 2018 में डॉलर की मजबूती के चलते रुपया एशिया में सबसे निचले स्तर पर चला गया था। अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में मानक ब्रेंट कच्चा तेल 2.26 प्रतिशत गिरकर 14 माह के निम्न स्तर 54.26 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर चल रहा है।
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पेट्रोल-डीजल के दाम में आएगी कमी
यदि क्रूड की वर्तमान स्थिति की बात करें तो ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई दोनों में 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली। विशेषज्ञों के अनुसार अगर क्रूड में यही गिरावट जारी रही तो ब्रेंट क्रूड 40 से 42 डॉलर प्रति बैरल तक का स्तर छू सकता है जिसका सीधा असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पड़ेगा।
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कम होगा आयात बिल
कच्चे तेल की कीमतें ज्यादा होने और रुपये के प्रति डॉलर 70 के भी ऊपर चले जाने से पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल का अनुमान था कि वित्त वर्ष 2018-19 में आयात बिल 40 फीसदी के करीब बढ़कर 12500 करोड़ डॉलर हो सकता है। अब विशेषज्ञों का मानना है कि आयात बिल में राहत मिलेगी।
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व्यापार घाटा कम होगा 
हमारे देश का आयात-निर्यात में सबसे ज्यादा आयात कच्चे तेल का होता है। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से आयात बिल बढ़ता है। उस अनुपात में निर्यात नहीं बढ़ पाते हैं। आयात-निर्यात के इस बड़े अंतर को व्यापार घाटा कहते हैं। कच्चे तेल की कीमत अब कम होने से हमारा ट्रेड डेफिसिट कम होगा। क्योंकि अक्टूबर 2018 से अब तक कीमत में 35-40 प्रतिशत कमी आ गई है।

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