नासिक के आसपास युवा किसान बिजली फिटिंग, प्लम्बरगिरी से कमा रहे हैं ज्यादा धन

Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Feb, 2020 02:34 PM

young farmers around nashik are earning more money from electric

महाराष्ट्र के नासिक जिले के आसपास के गांवों के किसान परिवारों के बड़ी संख्या में युवा खेती-बाड़ी से ज्यादा इलेक्ट्रीशियन, प्लंबिंग जैसी वैकल्पिक नौकरियों से कहीं अधिक धन कमा रहे हैं। उनमें से अधिकांश किसान, निर्माण-संबंधी उद्योग में

नासिकः महाराष्ट्र के नासिक जिले के आसपास के गांवों के किसान परिवारों के बड़ी संख्या में युवा खेती-बाड़ी से ज्यादा इलेक्ट्रीशियन, प्लंबिंग जैसी वैकल्पिक नौकरियों से कहीं अधिक धन कमा रहे हैं। उनमें से अधिकांश किसान, निर्माण-संबंधी उद्योग में वैकल्पिक नौकरियों से 7,000 से 15,000 रुपए प्रति माह कमा रहे हैं।

इन किसानों का कहना है कि इन नौकरियों से उन्हें अपने कृषि पर निर्भर परिवारों की मदद के लिए पर्याप्त पैसा मिल जाता है। ये किसान-ज्यादातर कक्षा 8वीं से 12वीं पास हैं और ये धीरे-धीरे प्रतिभाशाली पेशेवरों के रूप में उभर रहे हैं। उनके इस हैसियत के लिए श्रेय, पीएनबी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (पीएनबीएचएफ) के कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत उसके द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे व्यावसायिक कौशल हस्तक्षेप को जाता है जिसे वह कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीआरईडीएआई) और विवेकानंद संस्थान नासिक के समर्थन से चला रहा है। 

10वीं कक्षा पास किसान सागर निवृत्ती बोडके (22 वर्ष) ने पिछले वर्ष विवेकानंद संस्थान में 45 दिनों के नि:शुल्क बुनाई का प्रशिक्षण लिया है। वह अपने परिवार को त्र्यम्बकेश्वर तालुक के तड़वाडे गांव में 2.5 एकड़ खेत में काम में मदद करते हैं। बोडके ने बताया कृषि में काम का मौसम न होने पर वह बुनाई के काम में अपने को आसानी से लगाते हैं और प्रतिमाह 14,000 रुपए से 15,000 रुपए कमा लेते हैं। उन्होंने कहा, ‘आज मेरा परिवार खुश है कि मैं इस नई नौकरी से कमाता हूं और साथ ही खेती के कामकाज में उनकी मदद भी करता हूं।" इसी तरह की कहानी 20 वर्षीय अभिषेक मोहन डाघर की है। वह संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद प्रमाणित इलेक्ट्रिशियन बन गए हैं। 

डाघर ने कहा, "मुझे अब 7,000 रुपए प्रति माह मिलते हैं जो 12वीं फेल व्यक्ति के लिए बुरा नहीं है। हमारे पास पांच एकड़ खेत है और मैं अपने पिता को खेती में मदद करता हूं और इलेक्ट्रीशियन की नौकरी भी कर रहा हूं।" आसपास में ऐसे तमाम युवा किसान वैकल्पिक रोजी काम रहे हैं। पीएनबीएचएफ के मुख्य लोक अधिकारी अंशुल भार्गव ने कहा कि इस हस्तक्षेप का उद्देश्य, निर्माण श्रमिकों के कौशल को उन्नत करना और उनके लिए अनुकूल वातावरण तैयार करना है। विवेकानंद संस्थान के कार्यकारी अधिकारी संदीप कुयते ने कहा, "ऐसे पाठ्यक्रम प्रशिक्षित श्रमिकों की आपूर्ति में मदद करते हैं जो सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकते हैं।" 

पीएनबीएचएफ अकेले नासिक जिले में पिछले तीन वर्षों में बिजली, पाइपलाइन और निर्माण कौशल के क्षेत्र में 1,500 से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित करने का दावा करता है। संगठन का कहना है कि उसने पूरे भारत भर में वर्ष 2015-20 के बीच कुल 41,744 युवाओं को प्रशिक्षित किया है। इनमें से 70-75 प्रतिशत लोागों को हुनर के अनुसार रोजगार मिला है। यह पाठ्यक्रम/ प्रशिक्षण मुफ्त दिए जाते हैं। जबकि इस काम पर संस्थान का प्रति अभ्यर्थी 8,000 रुपए खर्च होता है। कई छात्र, पढ़ाई करने के लिए मुख्य नासिक शहर से 20-25 किमी दूर से आते हैं और विवेकानंद संस्थान यहां उन्हें छात्रावास और भोजन की सुविधा भी प्रदान करता है। 
 

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