अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर 5 महिला विधायकों से सदन चलवाना ही पर्याप्त नहीं’

Edited By Taranjeet Singh,Updated: 07 Mar, 2021 10:17 PM

50 percent women reservatio

गुजरात और पंजाब सहित कई  राज्यों में ग्रामीण और शहरी दोनों संस्थाओं में है 50 प्रतिशत महिला आरक्षण

चंडीगढ़, (ब्यूरो): अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन हरियाणा विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में सदन की कार्यवाही को एक- एक कर पांच महिला विधायकों की अध्यक्षता में चलवाया जाएगा, जिसमें भाजपा की सीमा त्रिखा व निर्मल रानी, जजपा की नैना सिंह चौटाला एवं कांग्रेस की गीता भुक्कल व किरण चौधरी शामिल हैं।

 


बहरहाल, इस विषय पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि महिलाओं के सशक्तिकरण और सर्वांगीण विकास के लिए उनमें सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता के साथ ही राजनीतिक जागरूकता भी लानी होगी। इसके लिए उन्हें राजनीतिक आरक्षण देना आवश्यक है। जहां तक लोक सभा और विधान सभाओं में एक-तिहाई (33 प्रतिशत) महिला आरक्षण देने का प्रश्न है, देश की स्वतंत्रता के 73 वर्ष और भारतीय गणतंत्र बनने के 70 वर्ष बाद भी ऐसा नहीं हो  सका है। इसका मुख्य कारण है- केंद्र में सत्ताधारी सरकारों में इस संबंध की गंभीर इच्छा शक्ति का न होना एवं सभी प्रमुख राजनीतिक दलों में इस संबंध में आम सहमति  न बन पाना। अब तक भारतीय समाज में विशेष तौर पर राजनीतिक परिवेश में  पारम्परिक पुरुष-प्रधान मानसिकता ही विद्यमान है।


वर्तमान 17वीं लोक सभा में हालांकि 78 महिला सांसद निर्वाचित हुईं, जो अब तक की सर्वाधिक संख्या है। वहीं, मौजूदा 90 सदस्यीय 14वीं हरियाणा विधानसभा में केवल 9 महिला विधायक हैं, जिनमें 5 कांग्रेस, 3 भाजपा और 1 जजपा पार्टी से  है।


हेमंत ने बताया कि जहां तक राज्यों की पंचायती राज संस्थाओं और शहरी नगर निकायों में महिला आरक्षण को वर्तमान 33 से बढ़ा कर 50 प्रशित करने का विषय  है, तो भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 डी और 243 टी में संबंधित राज्य की विधानसभा अपने प्रदेश में  ऐसा करने के लिए कानूनन सक्षम है।

जून, 1993 से अर्थात भारतीय संविधान के 74वे संशोधन के लागू होने के बाद जिसके द्वारा शहरी नगर निकायों में 33 प्रशित महिला आरक्षण किया गया, देश के एक दर्जन से ऊपर  राज्यों - आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, केरल,  मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, त्रिपुरा और तेलंगाना आदि द्वारा महिला आरक्षण की सीमा को बढ़ा कर 50 प्रतिशत कर दिया। इनमें से अधिकतर राज्यों में ऐसा तब किया गया जब वहां भाजपा की सरकारें सत्तासीन थीं जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2009 में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते विधानसभा से ऐसा कानून पारित करवाया था।

यहीं नहीं सवा तीन वर्ष पहले जून, 2017 में पड़ोसी राज्य पंजाब में मौजूदा कैप्टन अमरेंद्र सिंह सरकार ने सत्ता में आने के कुछ माह बाद ही   प्रदेश विधानसभा द्वारा अपने प्रासंगिक कानूनों में संशोधन करवाकर  राज्य  की  सभी पंचायती राज संस्थाओं और शहरी नगर निकायों में महिला आरक्षण को 33 से बढ़ा कर 50 प्रतिशत कर दिया था।

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