हरियाणा में वर्ष 2022-23 में स्थापित की जाएंगी 10 हाईटैक नर्सरियां

Edited By Ajay Chandigarh,Updated: 26 May, 2022 10:09 PM

5th meeting of steering committee chaired by chief secretary

पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत हरियाणा में वन क्षेत्र और ग्रीन कवर को बढ़ाने के लिए इस वर्ष 2070 हैक्टेयर क्षेत्र में पौधारोपण किया जाएगा तथा 10 हाईटैक नर्सरियों की स्थापना भी की जाएगी। इसके अलावा, 600 हैक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक तरीके से वन संपदा...

चंडीगढ,(बंसल): पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत हरियाणा में वन क्षेत्र और ग्रीन कवर को बढ़ाने के लिए इस वर्ष 2070 हैक्टेयर क्षेत्र में पौधारोपण किया जाएगा तथा 10 हाईटैक नर्सरियों की स्थापना भी की जाएगी। इसके अलावा, 600 हैक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक तरीके से वन संपदा के रिजनरेशन को भी बढ़ावा दिया जाएगा। राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण की दिशा में निरंतर अथक प्रयास कर रही है। 


मुख्य सचिव संजीव कौशल ने आज इस संबंध में हरियाणा राज्य वन कैम्पा (प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण की स्टीयरिंग कमेटी की 5वीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में जंगलों में लगने वाली आग पर नियंत्रण के लिए वन क्षेत्रों का सर्वेक्षण और मानचित्रण, प्रतिपूरक वनरोपण कार्य, मिट्टी और नमी संरक्षण, वन्यजीव प्रबंधन के लिए लगभग 282 करोड़ रुपए की वर्ष 2022-23 की वाॢषक योजना को मंजूरी प्रदान की गई। उन्होंने निर्देश दिए कि प्राकृतिक तरीके से फॉरैस्ट/ वन संपदा के रिजनरेशन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए, तदनुसार आॢटफिशियल फॉरैस्टेशन रिजनरेशन को अमल में लाया जाए। इसके अलावा, पड़ोसी राज्यों में किए जा रहे पर्यावरण संरक्षण के कार्यों का भी अध्ययन किया जाए।

 


35 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे
बैठक में बताया गया कि वर्ष 2022-23 के दौरान राज्य में कम से कम 10 हाईटैक नर्सरियों की स्थापना की जाएगी, जिस पर 35 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा, मॉडर्न नर्सरियों की स्थापना, उन्नयन और रखरखाव के लिए भी विभिन्न गतिविधियां की जाएंगी, जिस पर 3 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। बैठक में बताया गया कि राज्य के उत्तरी भाग में शिवालिक और दक्षिणी भाग में अरावली क्षेत्र पहाड़ी व लहरदार स्थलाकृति के कारण बारिश का पानी का संचयन संभव नहीं हो पाता और पानी के बहाव के कारण मिट्टी के कटाव के रूप में ऊपरी मिट्टी का नुक्सान होता है और भूजल पुनर्भरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसलिए, मिट्टी के संरक्षण के उपाय जैसे मिट्टी के बांधों का निर्माण, चिनाई वाली संरचनाएं, सीमेंट कंक्रीट की संरचनाएं, चैक डैम, सिल्ट डिटैंशन डैम और क्रेट वायर स्ट्रक्चर आदि बनाए जाएंगे, जिसके लिए 20 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। 

 


वन्यजीवों के संरक्षण के लिए की जाएगी विशेष गतिविधियां 
मुख्य सचिव को अवगत करवाया गया कि राज्य में 2 राष्ट्रीय उद्यान, 7 वन्यजीव अभ्यारण्य, 2 कंजर्वेशन रिजर्व और 5 सामुदायिक रिजर्व हैं। वन्यजीवों के अनुकूल वातावरण के लिए कच्चे तालाब का निर्माण, खरपतवार और लैंटाना को हटाना, रेत के टीले का निर्माण, संरक्षित क्षेत्रों में देशी प्रजातियों के रोपण और घास के मैदानों के विकास जैसी विभिन्न गतिविधियां की जाएंगी। इसके अलावा, राज्य में वन्यजीवों के संरक्षण और बेहतर प्रबंधन के लिए, पक्षियों के लिए एवियरी का निर्माण, सरीसृपों के लिए आश्रय, पक्षी उपचार केंद्र और फीङ्क्षडग प्लेटफॉर्म जैसी बुनियादी ढांचे भी बनाए जाएंगे, इसके लिए 4 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसके अलावा, गांवों में लकड़ी बचाने हेतु खाना पकाने के उपकरणों, बायोमास आधारित लकड़ी की प्लेटों और अन्य वन उपज बचाने वाले उपकरणों की आपूॢत के लिए भी 20 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। बैठक में वन और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए तैनात फ्रंटलाइन कर्मचारियों के लिए जंगलों में आवासीय और आधिकारिक भवनों के निर्माण को भी मंजूरी प्रदान की गई। इस पर लगभग 10 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
 

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