Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Nov, 2017 10:58 AM
न्यू चंडीगढ़ में गांव मुल्लांपुर गरीबदास के मुन्ना लाल पुरी सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल को बने 15 साल बीत गए, इस दौरान चार बार सरकार बदली, अगर कुछ बदला नहीं तो वह है इस स्कूल की और इसके बच्चों की किस्मत।
नयागांव (मुनीष): न्यू चंडीगढ़ में गांव मुल्लांपुर गरीबदास के मुन्ना लाल पुरी सरकारी सीनियर सैकेंडरी स्कूल को बने 15 साल बीत गए, इस दौरान चार बार सरकार बदली, अगर कुछ बदला नहीं तो वह है इस स्कूल की और इसके बच्चों की किस्मत। टूटे शीशे, जालियां और खस्ताहाल इमारत में बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। स्कूल के पास अपना खेल मैदान तक नहीं है। यह स्कूल यहां के बाशिंदे और एन.आर.आई. नत्थू राम पुरी ने अपने पिता की याद में वर्ष 2002 में बनाया था। सरकारी जमीन पर बनी इस इमारत पर दो करोड़ खर्च आया था। खुद उस समय के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने स्कूल का उद्घाटन किया था। अब एक बार फिर कैप्टन की सरकार आने के बाद यहां के लोगों में उम्मीद जगी है कि शायद स्कूल की नुहार बदलेगी।
एन.आर.आई. ने इमारत बनाकर सरकार को सौंपी
गांव मुल्लांपुर के एन.आर.आई. नत्थू राम पुरी ने 6वीं से 12वीं तक के इस स्कूल की बिल्डिंग तैयार की थी। उनके अनुसार उस समय लोगों ने उन्हें परेशानी बताई कि यहां नजदीक कोई स्कूल नहीं है। उन्होंने गांव में स्कूल खोलने की बात कही। इसके बाद उनकी ओर से इमारत तैयार कर सरकार को सौंपी गई।
खेल मैदान किया जाए स्कूल के हवाले
पुरी डिवैल्पमैंट ट्रस्ट के चेयरमैन अरविंद पुरी ने बताया कि स्कूल के पास ही खाली मैदान में पड़ा है, जो गांव की पंचायत का है। यहां शादी समागम भी होते रहते हैं, जिस कारण पढ़ाई भी प्रभावित होती है। उन्होंने बताया कि कैप्टन सरकार से मांग की गई है कि स्कूल के पास खाली पड़े मैदान को स्कूल के हवाले किया जा सके, जिससे इसका फायदा बच्चों को मिल सके।
कैप्टन ने किया था उद्घाटन
स्कूल की इमारत बनाकर सरकार को सौंपे स्कूल का उद्घाटन उस समय के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने 2002 में किया था, इसके बाद सरकार ने सुविधाएं भी स्कूल को मुहैया करवा दी थी लेकिन इसके बाद पंजाब में करीब 10 साल अकाली सरकार रही मगर स्कूल की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। गांव के लोग समय-समय पर इमारत की हालत के बारे में स्कूल प्रबंधकों को सूचित करते हैं। स्कूल प्रबंधक भी अपने उच्च अधिकारियों को इस संदर्भ में बताते हैं, मगर आज तक स्कूल की इमारत अनदेखी का ही शिकार होती रही।