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ऑटो रिक्शा वर्कर यूनियन ने की हड़ताल, चंडीगढ़ प्रशासन कर रहा धक्केशाही

Edited By pooja verma,Updated: 04 Feb, 2020 01:04 PM

auto rickshaw workers union strike chandigarh administration is pushing

पंचकूला और मोहाली से चंडीगढ़ में आने वाले ऑटो के एंट्री टैक्स को लेकर चल रहे विवाद के चलते सोमवार को ऑटो यूनियन की ओर से बुलाई गई हड़ताल का आंशिक असर ही देखने को मिला।

चंडीगढ़ (साजन): पंचकूला और मोहाली से चंडीगढ़ में आने वाले ऑटो के एंट्री टैक्स को लेकर चल रहे विवाद के चलते सोमवार को ऑटो यूनियन की ओर से बुलाई गई हड़ताल का आंशिक असर ही देखने को मिला। सुबह के समय तो कुछ ऑटो बंद दिखाई दिए, लेकिन दोपहर बाद सड़कों पर ऑटो धड़ल्ले से चल रहे थे। 

 

ऑटो चालकों ने बुलाई गई हड़ताल का फायदा जरूर उठाया और सवारियों से डबल तक चार्ज किया। ऑटो चालकों के इस रवैये से सवारियां परेशान दिखी। ऑटो चालकों ने एकजुटता दिखाते हुए चंडीगढ़ प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोला तो जरूर था, लेकिन ऑटो यूनियन के आह्वान पर  ऑटो चालकों की ओर से सोमवार को पूर्णत: चक्का जाम की घोषणा का आंशिक असर ही देखने को मिला। 

 

चंडीगढ़ प्रशासन कर रहा धक्केशाही
हिन्द ऑटो रिक्शा वर्कर यूनियन के प्रैजीडैंट अनिल कुमार ने बताया कि उनकी हड़ताल पूर्णत: सफल रही है, जो संदेश चंडीगढ़ प्रशासन को देना था वह दे दिया गया है। उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा मोहाली और पंचकूला से आने वाले ऑटो को एंट्री प्वाइंट पर परमिट और एंट्री टैक्स के लिए रोका जाता है जो सरासर नाजायज है। 

 

उनके पास कागजात भी पूरे होते हैं लेकिन उन्हें चंडीगढ़ में प्रवेश ही नहीं करने दिया जाता, जबकि वह ऑटो में सी.एन.जी. भरवाने चंडीगढ़ आते हैं। मोहाली व पंचकूला में कोई सी.एन.जी. पंप नहीं है, जिसकी वजह से उन्हें चंडीगढ़ आना ही पड़ता है लेकिन प्रशासन उनके साथ धक्केशाही कर रहा है और ऑटो को इंपाऊंड कर रहा है जो बिलकुल गलत है।

 

अधिकारी मिलते नहीं, दलालों का शिकार होना पड़ता है
अनिल कुमार ने बताया कि चंडीगढ़ में एंटर करने के लिए ऑटो वालों को चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट विभाग टैक्स पर्ची चार्ज करने को कहते हैं जिसे ऑटोवाले प्रतिदिन के हिसाब से भी देने को तैयार हैं। उन्होंने बताया कि जब भी काउंटर साइन करवाने के लिए किसी अधिकारी के पास जाते हैं, तो अक्सर अधिकारी नहीं मिलते हैं और ऑटो वालों को दलालों का शिकार होना पड़ता है। 

 

उच्चाधिकारी उनकी मांगों पर गौर नहीं करते। उन्होंने बताया कि एच आर-68 की प्राइवेट नंबरों की बसें, स्कूल से बच्चों को लाने व छोडऩे के काम में लगी हैं लेकिन इनके पास भी परमिशन या परमिट नहीं है। इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती। ट्राईसिटी में एच आर -68 नंबर की टैक्सी भी चल रही है, इनके पास भी परमिट नहीं है।

 

बिना जागरूक किए पुलिस नियम कर देती है लागू
अनिल कुमार ने बताया कि चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस बिना जागरूक किए नियम लागू कर देती है जिसकी वजह से दिक्कतें पेश आती हैं। हाल ही में लेन सिस्टम, स्पीड लिमिट लाइट और सवारी चढ़ाने और उतारने को लेकर आदेश थोप दिए गए। उन्होंने कहा कि डीजल ऑटो से एल.पी.जी. और सी.एन.जी. में कन्वर्ट करवाना, एजैंसियों से सी.एन.जी. गाड़ी सेल होने पर आर.सी. खुद बना कर देना और साथ ही परमिट क्यों नहीं दिया जाता। चंडीगढ़ प्रशासन ने अपनी बसों के रेट तो बढ़ा लिए लेकिन 2009 के बाद ऑटो के मीटर का रेट नहीं बढ़ाया।

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