सरकार जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए उठा रही है प्रभावी कदम: केंद्रीय मंत्रीअर्जुन राम मेघवाल

Edited By Yaspal,Updated: 29 Jul, 2023 11:56 PM

government is taking effective steps to tackle climate change meghwal

पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक साझा रणनीति की आवश्यकता को इंगित करते हुए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 29 जुलाई को कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना

मोहाली: पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक साझा रणनीति की आवश्यकता को इंगित करते हुए केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने 29 जुलाई को कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना और अपनी धरती को  जलवायु परिवर्तन से बचाना हम सभी के लिए अनिवार्य है। क्योंकि हम पहले से ही मौसम की घटनाओं के कारण आ रही प्राकृतिक आपदाओं और उस से होने वाली भयानक तबाही को देख रहे है।

मेघवाल पर्यावरण कानून और संवैधानिक अधिकार: एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य' विषय पर आधारित चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के तीसरे संस्करण के उद्घाटन समारोह के दौरान बोल रहे थे। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री ने कहा, "हम पहले से ही प्राकृतिक आपदाओं की घटनाओं को देख रहे हैं, जो मौसमपर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का स्पष्ट संकेत है। ऐसे में तत्काल और सहयोगात्मक कार्रवाई वर्तमान समय की मांग है।"

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी ने 'पर्यावरण कानून और संवैधानिक अधिकार: एक वैश्विक परिप्रेक्ष्य' विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें चार देशों के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, छह देशों के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, 100 से अधिक वकील, विभिन्न बार काउंसिल के पचास सदस्य, विभिन्न प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सौ सदस्य और विभिन्न लॉ स्कूलों के लगभग चार सौ छात्रों और फैकल्टी ने भाग लिया।

इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले गणमान्य व्यक्तियों में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति बीआर गवई; माननीय न्यायमूर्ति आनंद मोहन, नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश; माननीय न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायाधीश भारत का सर्वोच्च न्यायालय; माननीय श्री आर वेंकटरमणी, भारत के अटॉर्नी जनरल; माननीय न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव, न्यायाधीश दिल्ली उच्च न्यायालय; माननीय न्यायमूर्ति एमएस रामचन्द्र राव, मुख्य न्यायाधीश हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय;, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और पूर्व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल  के अध्यक्ष माननीय न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) स्वतंत्र कुमार,पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी, चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर सतनाम सिंह संधूऔर चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की सीनियर वाइस प्रेजिडेंट हिमानी सूद भी शामिल थी।

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने जलवायु परिवर्तन को अपनी पर्यावरण नीतियों के केंद्र में रखा है और इस वैश्विक आपदा के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं। मेघवाल ने कहा “भारत शब्दों के बजाय कार्यों में विश्वास करता है।भारत एकमात्र G20 देश है जिसने पेरिस में जलवायु परिवर्तन पर किये गये सभी वादों को पूरा किया है।

भारत के केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपने सम्बोधन मे चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर सतनाम सिंह संधू का अंतर्राष्ट्रीय लॉ सम्मेलन के आयोजन के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि कहा कि जैसे मानव शरीर पांच तत्वों के मेल से बना है उसी प्रकार पृथ्वी भी पांच तत्वों से मिल कर बनी है।  मानव शरीर की तरह पृथ्वी को भी संरक्षण की आवश्यकता होती है।   उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हम अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए विभिन्न कार्य करते है उसी प्रकार धरती माँ को स्वस्थ रखने के लिए भी कुछ छोटे छोटे संकल्प ले तथा कदम उठाये , जैसे सिंगल यूज़ प्लास्टिक का प्रयोग न करे, कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए साइकिल का प्रयोग करें, अपनी जीवन के प्रत्येक ख़ुशी के अवसर पर वृक्ष लगाए तथा पानी की बर्बादी न करे।

उन्होंने कुछ दशकों पहले का उदहारण देते हुए कहा कि पहले मुँह धोने, नहाने यहाँ तक कि खाना पकाने में भी  सीमित मात्रा में  पानी का प्रयोग किया जाया था किन्तु आधुनिकता ने हमें इन प्राकृतिक स्त्रोतों के दुरूपयोग की ओर धकेल दिया है। उन्होंने पानी के संरक्षण के पर ज़ोर देते हुए कहा कि यदि हम चाहते है कि आनेवाली पीढ़ियां पानी से वंचित न हो तो हमे पानी की बर्बादी को रोकना होगा।  उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर जीवन को बनाये रखने के लिए  जल, वायु, अग्नि, धरती और आकाश के बीच में संतुलन बनाये रखना ज़रूरी है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री केवल भारत में ही  नहीं बल्कि विदेशो में भी पर्यावरण संरक्षण पर ज़ोर देते है।अर्थ ऑवर को भारतीय तरीके से मानाने का सन्देश देते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि विदेशी तरीके से अर्थ ऑवर मना कर साल भर में केवल एक घंटा बिजली बचाते है लेकिन भारतीय तरीके से प्रत्येक पूर्णिमा की रात बिजली का प्रयोग न करते हुए हम एक साल में 12 बार बिजली बचा सकते है। उन्होंने उपस्थित गणमान्य अतिथियों ,  फैकल्टी एवं छात्रों से पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेने का आग्रह किया।

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में संबोधित करते हुए चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर सतनाम सिंह संधू ने कहा कि यह सम्मेलन भारत की जी-20 की अध्यक्षता के समय हो रहा है। “भारत की अध्यक्षता में जी-20 का विषय भी वैश्विक पर्यावरण संकट को  दर्शाता है और  वैश्विक सहयोग का आह्वान करता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण का मुद्दा तब तक हल नहीं हो सकता जब तक यह एक जन आंदोलन नहीं बन जाता। हर देश के शैक्षणिक संस्थानों का यह दायित्व है कि वह समाज, देश एवं पूरी दुनिया के युवाओं को पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन जैसे संवेदनशील मुद्दों के प्रति प्रेरित करते हुए जागरूक करे ताकि वे इस कार्य में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं। 

सतनाम सिंह संधू ने कहा कि हमारे प्राचीन वेदों, उपनिषदों और ग्रंथों में भी प्रकृति की पूजा और संरक्षण का उपदेश दिया गया हैं। गुरु नानक देव जी द्वारा भी “पवन गुरु पानी पिता माता धरत महत" का संदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी भी अपनी सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए,  पिछले 3 सालों से पर्यावरण कानूनों के महत्वपूर्ण मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय लॉ कांफ्रेंस की मेजबानी कर रही है।  जो जलवायु परिवर्तन को कम करने के विभिन्न मुद्दों को समझने और पर्यावरण की रक्षा के लिए समाधान खोजने के लिए सभी वर्गों के लोगों को एक मंच पर लाती है।''

उन्होंने कहा कि मुझे यह घोषणा करते हुए बेहद गर्व महसूस हो रहा है कि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी पर्यावरण को एक विषय के रूप में पढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन पर सामाजिक इंटर्नशिप शुरू करने वाली भारत की पहली यूनिवर्सिटी है। इस के अंतर्गत  छात्र को अनिवार्य रूप से पर्यावरण संरक्षण के लिए समाज में व्यावहारिक कार्य करेंगे। 

भारत के अटॉर्नी जनरल, आर वेंकटरमणी ने कहा, “जलवायु परिवर्तन एक गंभीर मुद्दा है और दुनिया पहले से ही पृथ्वी ग्रह पर इसके प्रभावों को देख रही है। दशकों से, राष्ट्रों के विकास के माध्यम से मानव आवश्यकताओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, लेकिन यह एहसास नहीं हुआ कि मानव जाति का वास्तविक विकास लक्ष्य 'राष्ट्रों की संपत्ति' नहीं, बल्कि राष्ट्रों का स्वास्थ्य है।वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि हम स्वयं को यह समझने में संलग्न करें कि सर्वोत्तम सामाजिक, कानूनी और अन्य उपकरण क्या हैं जिन्हें सतत विकास को परिभाषित करने की बहुत कठिन चुनौती को आगे बढ़ाने के लिए लागू किया जा सकता है।

 वेंकटरमणी ने आगे कहा कि नीति निर्माण में अधिक न्यायिक भागीदारी का मतलब है कि हम सतत विकास के लक्ष्यों के करीब हैं। उन्होंने कहा, ''इस प्रमुख नागरिक चुनौती को ध्यान में रखते हुए, दुनिया भर में कई संविधानों को शामिल किया गया है ।  पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने और सतत विकास प्राप्त करने के लिए पर्यावरणीय सिद्धांत, मूल्य और सिद्धांत। यहां तक कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय भी आज इस वैश्विक मुद्दे से लड़ने में योगदान देने के लिए पर्यावरण कानून दायित्वों पर नीति निर्माण में अधिक लगे हुए हैं।

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की सीनियर वाइस प्रेजिडेंट हिमानी सूद ने अंतरराष्ट्रीय कानून सम्मेलन के अवसर की शोभा बढ़ाने और पर्यावरण के सतत विकास की दिशा में काम करने की आवश्यकता के संदेश का प्रचार करने के लिए सभी गणमान्य व्यक्तियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि भारत के पास दुनिया की सबसे मजबूत और सबसे स्वतंत्र कानून व्यवस्था है, जिसने अन्य देशों को भी दिशा दिखाई है। तीन तलाक उन्मूलन जैसी पहल ने न केवल महिलाओं को सशक्त बनाया है बल्कि देश की कानून व्यवस्था में नागरिकों का विश्वास भी मजबूत किया है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी देश को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ स्थान बनाने और अमृत काल में विकास की ओर ले जाने के हर प्रयास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।''

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