दिव्यांग खिलाडिय़ों को नसीब नहीं 18 मीटर जगह

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Oct, 2017 10:50 AM

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सरकार जहां एक तरफ दिव्यांगों को बेहतरीन सुविधाए मुहैया करवाने के दावे कर रही है वहीं शहर के दिव्यांग खिलाडिय़ों को 18 मीटर जगह तक नसीब नहीं हो रही है। यह कहना है इंटरनैशनल डिस्एबल क्रिकेटर वीर सिंह संधू का।

चंडीगढ़(लल्लन) : सरकार जहां एक तरफ दिव्यांगों को बेहतरीन सुविधाए मुहैया करवाने के दावे कर रही है वहीं शहर के दिव्यांग खिलाडिय़ों को 18 मीटर जगह तक नसीब नहीं हो रही है। यह कहना है इंटरनैशनल डिस्एबल क्रिकेटर वीर सिंह संधू का। 

 

पी.यू. में खेले जा रहे क्रिकेट मुकाबले के दौरान संधू ने कहा कि प्रशासन की तरफ से हमें प्रैक्टिस करने के लिए 18 मीटर पिच की व्यवस्था नहीं की है तो अन्य सुविधाओं की उम्मीद कैसे की जा सकती है। 

 

संधू के मुताबिक प्रैक्टिस करने के लिए उन्हें कोई मैदान उपलब्ध नहीं है। ऐसे में हम लोग सैक्टर-21 के पार्क में प्रैक्टिस करते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ से कई दिव्यांग क्रिकेट खिलाड़ी हैं पर प्रशासन की तरफ से इन्हें कभी सम्मानित नहीं किया गया ना ही सुविधाएं मुहैया करवाई गईं। 

 

खेल विभाग का उदासीन रवैया :
वीर सिंह के मुताबिक कई बार उनकी तरफ से प्रशासन व खेल विभाग को मैदान उपलब्ध करवाने के लिए आग्रह किया जा चुका है पर अभी तक इस दिशा में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया। संधू के मुताबिक हमें प्रैक्टिस करने के लिए सिर्फ 40 गज का मैदान और 18 मीटर पिच की जरूरत होती है पर हमारी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। ऐसे में ग्रीन बैल्ट एरिया में खेलने के लिए मजबूर हैं। उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों में दिव्यांग खिलाडिय़ों के लिए काफी सुविधाएं दी जा रही हैं पर यहां प्रशासन कुछ नहीं कर रहा। 

 

एसोसिएशन भी नहीं गंभीर :
वीर सिंह ने बताया कि दिव्यांग के क्रिकेट मैच के लिए व्हील चेयर का होना जरूरी है, लेकिन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए टीम के किसी भी खिलाड़ी के पास स्पोर्ट्स व्हील चेयर नहीं है। ऐसे में मजबूर होकर सभी खिलाड़ी सामान्य व्हील चेयर का ही प्रयोग करते हैं जो अभिभावकों द्वारा दी गई राशि से खरीदी गई हैं। वीर सिंह ने कहा कि अगर स्पोर्ट्स व्हील चेयर की बात करें तो इसकी कीमत मात्र 23-25 हजार रुपए के बीच है लेकिन यह सुविधा उपलबध करवाने के लिए ना तो कोई एसोसिएशन आगे आ रही है ना ही प्रशासन। 

 

कोच भी खुद ही बने :
वीर सिंह संधू ने बताया कि उन्हें बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था, लेकिन दिव्यांग होने के कारण उन्हें शुरू में लगा कि क्रिकेट खेलना मुश्किल होगा, लेकिन क्रिकेट का शौक ऐसा रहा कि वह मैदान पर जाने से खुद को नहीं रोक पाए। संधू के मुताबिक वह कई बार गेंद पकड़ते समय गिरे पर उनका हौंसला कभी नहीं डगमगाया। इस कारण आज वह इंटरनैशनल क्रिकेटर बने हैं। 

 

कैसे खेलते हैं दिव्यांग क्रिकेट मैच :
वीर सिंह ने बताया कि जैसे इंटरनैशनल मैच में नियम होते हैं ठीक वैसे हमारे मैच में भी नियम अपनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ नो बाल के रूल में परिवर्तन किया है। साथ ही मैदान भी छोटा होता है, लेकिन खिलाड़ी 11 ही होते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे मैचों की बाऊंडरी 40 गज की होती हैं और पिच 18 मीटर। 

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