बैलेंस शीट्स नहीं की मैंटेन, कर्ज का भी ब्यौरा नहीं

Edited By bhavita joshi,Updated: 22 Nov, 2018 10:04 AM

no balance sheets not even details of debt

चंडीगढ़ प्रशासन के अंडर काम कर रही चंडीगढ़ चाइल्ड एंड वूमैन डिवैल्पमैंट कार्पोरेशन लिमिटेड के ऑडिट में कई आब्जैक्शन सामने आए हैं, जिससे कार्पोरेशन की कार्यशैली पर कई सवाल उठ रहे हैं।

चंडीगढ़ (साजन): चंडीगढ़ प्रशासन के अंडर काम कर रही चंडीगढ़ चाइल्ड एंड वूमैन डिवैल्पमैंट कार्पोरेशन लिमिटेड के ऑडिट में कई आब्जैक्शन सामने आए हैं, जिससे कार्पोरेशन की कार्यशैली पर कई सवाल उठ रहे हैं। ऑडिट ने अपने ऑब्जैक्शंस में लिखा है कि कार्पोरेशन ने अपनी बैलेंस शीट सही ढंग से मैंटेन नहीं की है। लैजर में बेतरतीब तरीके से पैसे का लेन-देन चढ़ाया गया है। जिन लोगों या कार्पोरेशन को लोन दिया गया है उसका कोई संपूर्ण ब्यौरा उपलब्ध नहीं है। जिन्हें भी लोन दिया गया है उसकी वसूली की बहुत ही कम उम्मीद है। 

घपले के आसार नजर आ रहे 
ऑडिट विभाग ने हाल ही में यू.टी. प्रशासन के कई विभागों का ऑडिट किया था। इस ऑडिट को लेकर एडवाइजर परिमल राय ने सब विभागों की मीटिंग भी ली थी। उन्होंने सब विभागों को आदेश दिया था कि ऑडिट विभाग की जरूरतों के मुताबिक सारे कागजात या सवालों के जवाब उन्हें उपलब्ध कराए जाएं जहां ऑब्जैक्शन लगता है। लगता है कि विभागों ने उनके आदेशों पर जरा भी अमल नहीं किया। ऑडिट के ऑब्जैक्शनों से तो ऐसा ही लगता है। जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ चाइल्ड एंड वूमैन डिवैल्पमैंट कार्पोरेशन ने जो लोन दिए हैं उन्हें अपडेट तक नहीं किया गया है। रिकार्ड देख कर लगता नहीं कि इनका कहीं मिलान भी हुआ है। रैगुलर मेन लैजर के साथ यह लोन पूरी तरह से मिसमैच आ रहे हैं। 

टैक्स रिटर्न तक फाइल नहीं की 
कार्पोरेशन ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल ही नहीं की। ऑडिट को इससे यह जांचने में दिक्कत पेश आ रही है कि कार्पोरेशन पर कितना इनकम टैक्स बनता है। इससे ऑडिट विभाग कार्पोरेशन पर इनकम टैक्स भी कैलकुलेट नहीं कर सका। इंप्लायज की ग्रैच्युटी व लीव एनकैशमैंट का भी एएस-15 के तहत नॉन कांप्लायेंस है। कार्पोरेशन ने मर्सेंटाइल सिस्टम आफ अकाऊंटिंग के तहत अकाऊंट मेंटेन नहीं किया। टेलीफोन, इलेक्ट्रीसिटी और वाटर के चार्जिस का खर्चा कैश बेसिस पर दिखाया गया। आशा किरण, जुवेनाइल जस्टिस होम, चाइल्ड हेल्पलाइन, स्नेहालय जैसे संस्थानों के लिए दी गई ग्रांटों व बैंकों में मौजूद क्लोजिंग बैलेंस पूरी तरह मिसमैच कर रहे हैं। इनमें जो बैलेंस खर्च नहीं किया गया वह अलग दिखाया गया है जबकि बैंकों के पास जो बैलेंस पड़ा है वह कहीं ज्यादा है। इसमें घपले के आसार नजर आ रहे हैं। इक्नोमिकल वीकर सैक्शन और विकलांग लोगों को जो लोन दिए गए हैं उन्हें प्रॉपर तरीके से मैंटेन ही नहीं किया गया। इनके नॉन अपडेशन या लोन रिकार्ड न रखने से कार्पोरेशन को करोड़ों रुपये का चूना लगने की आशंका है। इन लोनों की रिकवरी भी न के बराबर है। लैजर से लोन और रिकवरी मैच ही नहीं कर रही। लोन के मामले में कई लोग क्रोनिक डिफाल्टर हैं लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
 

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