डॉ शिवचंद्र झा ‘अंगिरस’ की पुण्यतिथि पर ‘चौबटिया’ पुस्तक आवरण की प्रस्तुति

Edited By Deepender Thakur,Updated: 24 May, 2024 01:38 PM

presentation of chaubatiya book cover by jyoti jha

साहित्यिक अनुवाद हमारे सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य को गहराई से आकार देते हैं, साहित्य के पुनर्जनन और पुनरुद्धार की अनुमति देते हैं और पाठकों के लिए विभिन्न संस्कृतियों, दृष्टिकोणों और परंपराओं को समझने का अवसर प्रदान करते हैं।

साहित्यिक अनुवाद हमारे सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य को गहराई से आकार देते हैं, साहित्य के पुनर्जनन और पुनरुद्धार की अनुमति देते हैं और पाठकों के लिए विभिन्न संस्कृतियों, दृष्टिकोणों और परंपराओं को समझने का अवसर प्रदान करते हैं। प्राचीन अंग महाजनपद अर्थात् भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में मुख्यतः बोली जाने वाली भाषा अंगिका, ‘अंग लिपि’ से प्रस्तुत हुई है और एक भारतीय ‘आर्य-भाषा’ है जो कि लगभग पाँच करोड़ लोगों द्वारा प्रयोग की जाती है। यह एक साहित्यिक भाषा है जिसका एक समृद्ध इतिहास रहा है। अंगिका साहित्य में कई दिग्गजों ने महारथ प्राप्त किया है, और उनमें ही एक नाम डॉ शिवचंद्र झा ‘अंगिरस’ का भी है।

बिहार में जन्मे डॉ शिवचंद्र झा उस पिता के पुत्र थे जो स्वयं व्युत्पन्न बुद्धि एवं प्रत्युत्पन्नमति से संपन्न संपूर्ण मिथिलांचल के श्रेष्ठ रत्न थे। एम ए (हिंदी), पीएचडी, डिप इन एड, एलएलबी की डिग्रियाँ प्राप्त डॉ शिवचंद्र झा ने अवर प्रमंडल शिक्षा पदाधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त होने के पश्चात लेखन के क्षेत्र में अपना कदम बढ़ाया और अपने व्यापक साहित्यिक योगदान से जल्द ही अंगिका भाषा के प्रतिष्ठित साहित्यकार बन गए। उन्होंने आठ पुस्तकें प्रकाशित कीं और इसके अलावा पत्र-पत्रिकाओं में उनके कई आलेख प्रकाशित हुए। आकाशवाणी भागलपुर से उनके कई रूपक प्रसारित हुए। अंगिका भाषा और व्याकरण में उन्होंने पुस्तकें लिखीं परंतु उनकी विधा अंगिका गद्य रही। उनकी पुस्तकों में – चौबटिया, अंगिका शब्दानुशासन, अंगिका भाषा व्याकरण, अंगिका निबंध, अंग जनपद, कविश्वर श्याम सुंदर जीवन और काव्य, अंगिका भाषा विज्ञान सम्मिलित हैं। इंटर्नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बायोग्राफ़िकल रीसर्च Inc इंडिया द्वारा उन्हें इंस्टिट्यूट गवर्निंग बोर्ड ऑफ एडिटर्स फ़ोर बायोग्राफ़िकल इंक्लूजन (मिल्लेनियम एडिशन), इंटर्नैशनल बायोग्राफ़िकल डिरेक्ट्री ऑफ डिस्टिंग्वीस्ड लीडर्स का नियुक्ति पत्र दिया गया था। विक्रमशीला रिसर्च इंस्टिट्यूट द्वारा प्रकाशित ‘श्रीमद् भागवत रहस्य’ (श्रीमद् भागवत महापुराण पर अंगिका में प्रवचन) उनकी साहित्यिक कृतियों में सर्वोपरि है जो उनके आध्यात्म और साहित्य के समागम को दर्शाती उनकी ख्याति को स्थापित करती है। उनकी साहित्यिक यात्रा में उनकी जीवन-संगिनी श्रीमती इंदूबाला झा का विशेष योगदान रहा जिन्होंने अपने सान्निध्य, सामिप्य, स्नेह, एवं निपुणता से सदैव उनका मनोबल बढ़ाया।

‘चौबटिया’ उन्हीं के द्वारा रचित एक लघु कहानी संग्रह है, जो अंगिका में लिखी गई है। ग्रामीण परिवेश की कुछ ऐसी मार्मिक कहानियाँ जिन्हें हम अपने आस-पास महसूस करते हैं और गाँव की सरल संस्कृति एवं संघर्षपूर्ण जीवन-यापन का अनुभव करते हैं, ऐसी ही कुछ चुनिंदा कहानियाँ का संग्रह है ‘चौबटिया’ जो कि अद्भुत कल्पना और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के बहुरंगी अनुभवों और टिप्पणियों की पृष्ठभूमि के माध्यम से चित्रित की गई है। उपभोक्तावाद के इस युग में, जहाँ पीढ़ियाँ शहर की रोशनी की चकाचौंध में खोती जा रही हैं, ये कहानियाँ प्रामाणिक ग्रामीण जीवन के लोकाचार को सामने लाती हैं। साधारण घरेलू घटनाओं से लेकर, ये हृदयस्पर्शी 23 कहानियाँ गाँव के लोगों के सामाजिक परिवेश और आर्थिक स्थितियों का चित्रण करती हैं।  

अंगिका भाषा में लिखित इस पुस्तक को हिन्दी भाषा की मुख्यधारा से जोड़ते हुए, हिंदी और अंग्रेज़ी की जानीमानी लेखिका ज्योति झा ने अपने पिता डॉ शिवचंद्र झा को एक रचनात्मक श्रद्धांजलि अर्पित की है। TEDx स्पीकर, ‘टाइम्स लिटफ़ेस्ट’, पुणे इंटरनेशनल लिटरेरी फेस्टिवल जैसे प्रमुख कार्यक्रमों एवं आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में वक़्ता रह चुकी ज्योति झा ने इंग्लैंड और अमेरिका में कई वर्षों तक रहने के पश्चात भारत आकर लेखन को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम चुना और वर्तमान में एक लेखिका और कॉलम्निस्ट हैं। एचआर प्रोफेशनल रह चुकी ज्योति ‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया राइट इंडिया सीजन 3’ की सम्मानित विजेता हैं। उन्हें विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ से ‘विद्या वाचस्पति’ की उपाधि से सम्मानित किया गया है। इनकी पुस्तक ‘आनंदी’ पर लेट्स इंस्पायर बिहार (आईपीएस विकास वैभव द्वारा चलाई गई मुहिम) के नारी सशक्तिकरण के तहत गुजरात के साइमोना क्रिएशन द्वारा नाट्य रूपांतरण किया गया है जिसके कई मंचन हुए। हिन्दी साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित भाषाविद साहित्यकार डॉ अविनाश बिनीवाले की पुस्तक ‘ईरान-पारसियों का तीर्थक्षेत्र’ का इन्होंने मराठी से हिन्दी में अनुवाद किया है। हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में ये साहित्य-सृजन करती हैं। इनकी आगामी पुस्तक ‘बियोंड स्पेक्ट्रम: पॉजिटिव पेरेंटिंग’, ऑटिजम पर आधारित है।

द लिटरेरी मिरर के मुख्य संपादक नीतीश राज के परामर्श से प्रेरित यह पुस्तक ‘चौबटिया’, लेखिका ज्योति झा द्वारा अपने पिता को साहित्यिक नमन है। डॉ अविनाश बिनीवाले, डॉ अमरेंद्र, अनिरुद्ध प्रसाद विमल, रंजन कुमार जैसे वरिष्ठ, समृद्ध, एवं विपुल साहित्यकारों द्वारा आशीर्वादित यह पुस्तक, लेखिका द्वारा अपने पिता की साहित्यिक विरासत को संजोने का गौरवमयी प्रयास है। डॉ शिवचंद्र झा की पुण्यतिथि के अवसर पर, पुस्तकनामा प्रकाशन द्वारा शीघ्र प्रकाशित हो रही इस पुस्तक के आवरण की प्रस्तुति, एक भावनात्मक अर्पण है और इस पुस्तक द्वारा लेखिका आशान्वित हैं कि ‘चौबटिया’ के इस हिन्दी प्रारूप के माध्यम से वे इस विशिष्ट कृति के भावों को प्रभावी रूप से पाठकों तक पहुँचाने में सफल हो पायें।
 

Related Story

India

97/2

12.2

Ireland

96/10

16.0

India win by 8 wickets

RR 7.95
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!