Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Apr, 2018 09:53 AM
चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल एंड टूरिज्म डिवैल्पमैंट कार्पोरेशन लिमिटेड ने रॉक गार्डन में प्राइवेट पार्टियों को टैंडर देने की योजना पर फिलहाल रोक लगा दी है।
चंडीगढ़ (साजन): चंडीगढ़ इंडस्ट्रियल एंड टूरिज्म डिवैल्पमैंट कार्पोरेशन लिमिटेड ने रॉक गार्डन में प्राइवेट पार्टियों को टैंडर देने की योजना पर फिलहाल रोक लगा दी है। लेक पर फूड काऊंटरों पर हो रही घपलेबाजी और घाटे को देखते हुए यह योजना रोकी गई है। इस बाबत पहले पूरा प्लान तैयार हो गया था और फाइलें भी आगे जा चुकी थीं लेकिन सी.जी.एम. ने इसे आगे न बढ़ाने का फैसला कर लिया।
सिटको के रॉक गार्डन में दो यूनिट चल रहे हैं और दोनों से कार्पोरेशन को इस वक्त 26 से 28 लाख का फायदा हो रहा है। सूत्रों के अनुसार सिटको के कुछ अधिकारियों ने मिलकर ऐसा तानाबाना बुना था कि रॉक गार्डन में भी प्राइवेट पार्टियों को दुकानें अलॉट करने के लिए टैंडर देने पर काम चल रहा था। कुछ ऐसी प्राइवेट पार्टियों को भी रॉक गार्डन में घुसाने की तैयारी थी जिन्हें पहले ही सुखना लेक पर सिटको की ओर से कमाई करने का पूरा मौका दिया
गया है।
बोट हाऊस, शिकारा चलाने में भी पारदर्शता नहीं
खुद सिटको बड़े आराम से यह काम कर सकती है लेकिन बावजूद इसके बाहरी पार्टी को किराए पर दुकान सौंप दी गई और अपने फूड काऊंटर को नुक्सान पहुंचाया जाने लगा। इतना ही नहीं, बोट हाऊस और शिकारा चलाने के काम में भी पारदर्शता नहीं है।
पहले प्राइवेट पाॢटयों को ट्रायल बेसिस पर यह काम सौंपा गया और फिर इन्हें अंदरखाते एडजस्ट किया जाने लगा। सिटको को बोटिंग का खुद का कोई एक्सपीरियंस नहीं है लिहाजा प्राइवेट पार्टियों की तैनाती करना मजबूरी है।
बोटिंग से सिटको को सालाना करीब 4 करोड़ रुपए की आमदनी
बोटिंग से ही सबसे ज्यादा फायदा सिटको को हो रहा है लेकिन अगर टैंडर निकाल कर बोटिंग का काम पूरी पारदर्शिता से किया जाए तो सिटको का लाभ करोड़ों रुपए बढ़ सकता है। सालाना बोटिंग से ही 4 करोड़ की आमदनी होती है। लेक पर सिटको ओवरआल तो फायदे में है लेकिन कुछ अधिकारियों की नीतियों से घाटा हो रहा है।
यही कवायद रॉक गार्डन में किए जाने की तैयारी है। रॉक गार्डन में फेज-1 में सिटको का एक जबकि फेज-3 में दूसरा काऊंटर है। यह दोनों काऊंटर अढ़ाई साल से चल रहे हैं। बहुत से घपलेबाज अफसरों की रॉक गार्डन पर काफी देर से नजर थी। प्राइवेट प्लेयर्स के साथ मिलकर इसलिए योजना तैयार की थी लेकिन उच्चाधिकारियों के दखल से फिलहाल यह सिरे नहीं चढ़ सकी और अंतिम चरण में इस पर सी.जी.एम. उमाशंकर ने रोक लगा दी।