तुलसी को इस दिशा में लगाने से धन के देवता रहते हैं मेहरबान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Dec, 2019 08:35 AM

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प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर के आंगन में प्राय: तुलसी का पौधा लगा होता है। यह हिंदू परिवार की एक विशेष पहचान है। स्त्रियां इसके पूजन के द्वारा अपने सौभाग्य एवं वंश की समृद्धि की रक्षा करती हैं। रामभक्त हनुमान जी जब

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प्रत्येक सद्गृहस्थ के घर के आंगन में प्राय: तुलसी का पौधा लगा होता है। यह हिंदू परिवार की एक विशेष पहचान है। स्त्रियां इसके पूजन के द्वारा अपने सौभाग्य एवं वंश की समृद्धि की रक्षा करती हैं। रामभक्त हनुमान जी जब सीता की खोज करने लंका गए तो उन्हें एक घर के आंगन में तुलसी का पौधा दिखलाई दिया।

‘‘रामायुध अंकित गृह, शोभा बरनि न जाय। नव तुलसि का वृन्द तंह, देखि हरष कपिराय।’’

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अर्थात अति प्राचीन परम्परा से तुलसी का पूजन, सद्गृहस्थ परिवार में होता आया है। जिसके संतान नहीं होती, वे तुलसी विवाह भी कराते हैं। तुलसी पत्र चढ़ाये बिना शालिग्राम का पूजन नहीं होता। विष्णु भगवान को चढ़ाए श्राद्ध भोजन में, देवप्रसाद, चरणामृत, पंचामृत में तुलसीपत्र होना आवश्यक है अन्यथा वह प्रसाद भोग देवताओं को नहीं चढ़ता। मरते हुए प्राणी के अंतिम समय में गंगाजल व तुलसी पत्र दिया जाता है। तुलसी जितनी धार्मिक मान्यता किसी भी वृक्ष को नहीं है।

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इन सभी धार्मिक मान्यताओं के पीछे एक वैज्ञानिक रहस्य छिपा हुआ है। तुलसी वृक्ष एक दिव्य औषधि वृक्ष है तथा कस्तूरी की तरह एक बार मृत प्राणी को जीवित करने की क्षमता रखता है। तुलसी के माध्यम से कैंसर जैसी असाध्य बीमारी भी ठीक हो जाती है। आयुर्वेद के ग्रंथों में तुलसी की बड़ी भारी महिमा वर्णित है। इसके पत्ते उबाल कर पीने से सामान्य ज्वर, जुकाम, खांसी एवं मलेरिया में तत्काल राहत मिलती है। शास्त्र ये आज्ञा नहीं देते की तुलसी को उबाला जाए। तुलसी के पत्तों में संक्रामक रोगों को रोकने की अद्भुत शक्ति है। भोग पर इसको रखने से ये प्रसाद बन जाता है। पंचामृत व चरणामृत में इसको डालने से बहुत देर रखा गया जल व पंचामृत खराब नहीं होते, उसमें कीड़े नहीं पड़ते।

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तुलसी की मंजरियों में एक विशेष खुशबू होती है, जिससे विषधर सांप उसके निकट नहीं आते। यदि रजस्वला स्त्री इस पौधे के पास से गुजर जाए तो वह फौरन अपवित्र हो जाता है। इसके अनेक औषधीय गुणों के कारण ही, इसकी पूजा की जाती है।

‘रणवीर भक्ति रत्नाकर’ ग्रंथ के अनुसार- तुलसी के गंध से सुवासित वायु जहां तक घूमती है, वहां तक दिशा और विदिशाओं को पवित्र करती है और उद्भिज, श्वेदज, अंड तथा जरायु-चारों प्रकार के प्राणियों को प्राणवान करती है। 

‘क्रियायोगसार’ नामक एक अन्य ग्रंथ के अनुसार- तुलसी के स्पर्श मात्र से मलेकिया इत्यादि रोगों के कीटाणु एवं विविध व्याधियां तुरंत नष्ट हो जाती हैं।

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वास्तुशास्त्र के अनुसार- तुलसी के पौधे को उत्तर-पूर्व दिशा में लगाने से धन के देवता कुबेर की कृपा बनी रहती है। घर में आए दिन कोई न कोई समस्या बनी रहती है तो तुलसी का पौधा दक्षिण- पूर्व दिशा में लगाएं। तुलसी के पत्ते एकादशी, रविवार और मंगलवार को नहीं तोड़ने चाहिए। 

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