भगवान शिव ने किसकी परीक्षा लेने के उद्देश्य से अपनी जटा से गंगा जल प्रवाहित किया

Edited By ,Updated: 06 Jul, 2015 08:36 AM

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तमिलनाडु का कांचीपुरम शहर अपने प्राचीनतम मंदिरों और सिल्क की साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है । अयोध्या, मथुरा, बनारस, हरिद्वार जैसे शहरों के साथ ही कांचीपुरम का नाम भी देश के पवित्र स्थलों में शुमार होता है.....

तमिलनाडु का कांचीपुरम शहर अपने प्राचीनतम मंदिरों और सिल्क की साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है । अयोध्या, मथुरा, बनारस, हरिद्वार जैसे शहरों के साथ ही कांचीपुरम का नाम भी देश के पवित्र स्थलों में शुमार होता है । आदि शंकराचार्य ने काम-कोटि पीठम सर्वप्रथम यहीं पर स्थापित किया था । इस शहर में अधिकांश मंदिर विष्णु और शिव के हैं । 

मान्यता है कि एक बार पार्वती जी ने खेल-खेल में भगवान शिव की आंखें अपने दोनों हाथों से बंद कर ली थीं । एक क्षण में पूरे ब्रह्मांड में अंधेरा छा गया । पूरा नियंत्रण छिन्न-भिन्न हो गया । पाप बढ़ने लगा । पार्वती जी का सम्पूर्ण शरीर भी श्यामवर्ण का हो गया । पार्वती जी ने इस भूल की क्षमा याचना की । भगवान शिव ने भी इसे देवी की इच्छानुसार दोष का निवारण बताया । पार्वती जी से प्रायश्चित करने को कहा गया ।

भगवान शिव ने बताया कि निवारण हेतु पृथ्वी-लोक में जाकर भक्तों के साथ निवास कर कामाक्षी नाम धारण कर तपस्या करके मानव सेवा करें ।पार्वती जी ने बद्रिकाश्रम से काशी नगर आकर मानव सेवा कर अन्नदान किया और अन्नपूर्णा नाम प्राप्त किया, फिर दक्षिण की यात्रा आरम्भ की । कांचीपुरम में एक स्थान पर आम के पेड़ के नीचे पार्वती जी ने घोर तपस्या की। कम्बा नदी के किनारे एक स्थान पर पार्वती जी रेत का शिवलिंग बनाकर पूजा करती थीं ।

शिवजी ने ध्यान कर पार्वती जी के तप को देखा और परीक्षा लेने के उद्देश्य से अपनी जटा से गंगा जल कम्बा नदी में प्रवाहित कर दिया । नदी में बाढ़-सी आ गई। नदी के प्रवाह से रेत के लिंग जिसकी वह पूजा करती थीं, को बचाने हेतु पार्वती जी ने उसे आलिंगनबद्ध कर लिया ।भगवान शंकर प्रसन्न हुए और उन्होंने कामेश्वर रूप धारण किया । पार्वती जी का शरीर भी श्यामवर्ण से गौरवर्ण में परिवर्तित हो गया । पार्वती जी ने भगवान शिव को वर के रूप में प्राप्त किया इसलिए इस स्थान का नाम एकाम्बरेश्वर पड़ा ।

मंदिर के अंदर आज भी वह आम का पेड़ हरा-भरा देखा जा सकता है । एकाम्बरनाथ मंदिर के गर्भालय में शिव-पार्वती के दूल्हा-दुल्हन के युगल रूप को यहीं देखा जा सकता है, अन्यत्र नहीं । यह शहर का सबसे बड़ा मंदिर है, जो शहर के उत्तरी भाग में स्थित है । इसका द्वार भी काफी ऊंचा है ।कैलाश नाथ मंदिर :  यह  सबसे पुराना पल्लव मंदिर है । यहां की वास्तुकला और शिल्पकला बहुत सुंदर है । पत्थरों को काटकर सुंदर आकृति प्रदान की गई है। इसके अलावा श्री सुब्रमण्यम स्वामी, कुमार कोट्टम, श्री कच्छपेश्वर, श्री उलगलन्द पेरुमल मंदिर देखने योग्य हैं । यहां के श्री चित्रगुप्त मंदिर, जैन और विष्णु मंदिर भी सुप्रसिद्ध हैं ।

कैसे पहुंचें  : 
कांचीपुरम रेलवे स्टेशन छोटा पर साफ-सुथरा है । इसे देखकर नहीं लगता कि यह इतने ख्याति प्राप्त स्थान का रेलवे स्टेशन है । यहां से शहर तक जाने के लिए ऑटो वगैरह मिलते हैं । स्टेशन से शहर की दूरी ज्यादा नहीं है ।

—उदयवीर पाल श्रीवास्तव
    

 

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