आपके आसपास लगे पेड़-पौधे भी देते हैं तरक्की और समृद्धि

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 09 Mar, 2023 08:29 AM

astrology and ayurvedic plants

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में राशियों की संख्या 12, ग्रहों की संख्या 9 व नक्षत्रों की संख्या 27 मानी गई है

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Plants according to astrology: भारतीय ज्योतिष शास्त्र में राशियों की संख्या 12, ग्रहों की संख्या 9 व नक्षत्रों की संख्या 27 मानी गई है। इसी प्रकार आकाश को 27 बराबर भागों में बांटा गया है जिसमें हर एक भाग को नक्षत्र कहते हैं। प्रत्येक जातक की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति एवं नक्षत्र का विशेष स्थान होता है। ये ग्रह व नक्षत्र जातक की जन्म कुंडली पर अपना लाभदायक या हानिकारक प्रभाव दिखाते हैं। लाभदायक प्रभाव के लिए ग्रह व नक्षत्रों की स्थिति अनुकूल एवं हानिकारक प्रभाव के लिए ग्रहों व नक्षत्रों की स्थिति प्रतिकूल होती है।

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Plants and planets in astrology: जन्म कुंडली से संबंधित राशि, ग्रह व नक्षत्रों का पौधा घर में लगाने, उनकी प्रतिदिन पूजा करने तथा जल सींचकर हानिकारक ग्रह-गोचर के प्रभाव को कम किया जा सकता है जबकि अनुकूलित ग्रह से तुरंत लाभ का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।
ग्रह दोष निवारण हेतु ग्रह से संबंधित पेड़-पौधों की लकडिय़ों से यज्ञ में आहुतियां देने से भी लाभ होता है।

Vedic astrology and plants: विभिन्न ग्रह-नक्षत्रों एवं राशियों से संबंधित पेड़-पौधों के नाम ग्रंथों में वर्णित हैं, उनकी जानकारी इस प्रकार है :

सूर्य - आक का पेड़
सम्पूर्ण ब्रह्मांड का कर्त्ता सूर्य है। सूर्य से आत्मसिद्ध सभी प्रकार की शिक्षा, शरीर से हड्डी के रोग, दिल की धड़कन इत्यादि का आकलन होता है। सूर्य ग्रह से संबंधित वृक्ष का नाम अर्क (आक) है। सूर्य ग्रह को अनुकूल बनाने हेतु आक की पूजा करनी चाहिए। पूजा में आक के पुष्पों का उपयोग करना चाहिए।

चंद्र - पलास का पेड़
चंद्र ग्रह माता का कारक है। चंद्र उच्च का या अपनी राशि के घर में हो तो जातक विद्वान बनता है। उसे पैतृक मकान का सुख मिलता है। चंद्र ग्रह से संबंधित वृक्ष का नाम पलास (ढाक) है। इसकी लकड़ी का हवन में उपभोग करके चंद्र दोष का निवारण किया जा सकता है।

मंगल - खैर का पेड़
प्राचीन ज्योतिशास्त्र में सूर्य को राजा, चंद्र और मंगल को सेनापति का पद दिया गया है। मारकाट, हथियार चलाना, साहस, लडऩे की गति, व्यवहार आदि बातें जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति के अध्ययन से मालूम चलती है। इस ग्रह का संबंधित वृक्ष खादिर (खैर) है। मंगल ग्रह दोष निवारण हेतु खैर वृक्ष को नित्य प्रतिदिन जल सींचना चाहिए।

बुध - चिचिड़ा का पेड़
जन्म कुंडली में बुध की स्थिति से शिल्पकला दस्तकारी, बुद्धिमत्ता, व्यापारी, इत्यादि का आकलन किया जाता है। अकेला बुध निरपक्ष व निर्लेप रहता है। दूसरे, चौथे या छठे घर में बैठा बुध राजयोग कारक होता है। जातक को बुध श्रेष्ठ बनाने हेतु बुध से संबंधित वृक्ष चिचिड़ा के फल व बीजों को घर में रखना चाहिए। इनके फलों का उपयोग हवन सामग्री में डालकर हवन करने से बुध ग्रह जन्म कुंडली में उच्च का हो जाता है।

बृहस्पति - पीपल का पेड़
जातक की जन्म कुंडली में बृहस्पति उच्च हो तो वह जगत गुरु होता है। संतान, विद्या, बुद्धि, शासन द्वारा सम्मान, बड़प्पन आदि बातें बृहस्पति के शुभ होने पर प्राप्त होती हैं। बृहस्पति ग्रह से संबंधित वृक्ष का नाम पीपल है। भारतीय संस्कृति में इसका पूजन किया जाता है। पीपल वृक्ष धार्मिक आस्थाओं में सर्वोपरि है। इसे जल देने पर बृहस्पति ग्रह से संबंधित कार्य त्वरित गति से सम्पन्न होते हैं। बृहस्पति की अनिष्ठा समाप्त करने के लिए इसकी लकड़ी हवन के लिए सर्वोपयुक्त है।

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शुक्र - गूलर का पेड़
शुक्र सुंदरता का निर्धारण करता है। शुभ कार्य के लिए भी शुक्र ग्रह का उच्च होना आवश्यक है। शुक्र ग्रह से संबंधित वृक्ष ओडम्बर (गूलर) है।

शनि - खेजड़ी का पेड़
शनि नवग्रहों में सबसे बड़ा परंतु बहुत धीमी चाल चलने वाला ग्रह है। शनि यदि शुभ राशि में हो तो जातक का कल्याण कर देता है। यदि विपरीत अशुभ राशि या घर में बैठा हो तो हानि करता है। शनि ग्रह से संबंधित वृक्ष खेजड़ी (शामी या शमी) है। शनि के हानिकारक प्रभाव को कम करने हेतु भैरव मंदिर के पास यह वृक्ष लगाना चाहिए।

राहू - दूब यानी घास
कुंडली में राहू के प्रभाव से शूरता, साहस, मोटापा, पापकर्म, दुख, चिंता, संकट आदि बातों का ज्ञान होता है। यह निर्धनों का मददगार होता है। इस ग्रह से संबंधित वनस्पति दूर्वा (दूब) घास है। राहू ग्रह के हानिकारक प्रभाव कम करके उसे फलदायी करने हेतु घर आंगन में दूर्वा लगानी चाहिए।

केतु : कुश घास
केतु छाया ग्रह है। इस ग्रह से संबंधित वनस्पति है कुश घास।

राशि तथा नक्षत्रों से जुड़े पेड़
विभिन्न नक्षत्रों से संबंधित वृक्षों के नाम निम्न में दिए गए हैं। जातक को अपने जन्म नक्षत्र से अनुकूलित लाभ लेने हेतु इन वृक्षों की सेवा करनी चाहिए।

इन्हें नित्य प्रतिदिन जल सींचना तथा इन्हें संरक्षण प्रदान करना चाहिए।
राशियां -  मेष : आंवला, वृषभ : जामुन, मिथुन : शीशम, कर्क : पीपल, सिंह : ढाक (पलास), कन्या : रीठा, तुला : अर्जुन, वृश्चिक : मोलश्री, धनु : वेतस, मकर : मदार (आक), कुंभ : कदम्ब, मीन : नीम।

नक्षत्र - अश्वनी नक्षत्र : कुचला, भरनी नक्षत्र : आंवला, कृतिका नक्षत्र : गूलर, रोहिणी नक्षत्र : जामुन, मृगाशिरा नक्षत्र : खैर, आद्र्रा नक्षत्र : शीशम।

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