छठ पर्व 2019:  इस भव्य मेले में दूर-दूर से शामिल होने आते हैं लोग

Edited By Jyoti,Updated: 02 Nov, 2019 04:00 PM

aurangabad surya temple

प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक छठ का महापर्व मनाया जाता है। इस पर्व में मुख्य रूप से सूर्य देवता की पूजा की जाती है।

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प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि तक छठ का महापर्व मनाया जाता है। इस पर्व में मुख्य रूप से सूर्य देवता की पूजा की जाती है। इस दौरान गंगा घाटों या पावन नदियों पर छठ मनाने वाले श्रद्धालुओं की काफ़ी भीड़ दिखाई देती है। परंतु इसके अलावा इस दौरान देश में स्थापित सूर्य मंदिरों आदि में भी भक्तों को अधिक भीड़े देखने को मिलती है। परंतु बता दें हिंदू धर्म के समस्त देवताओं की तरह देश में इनके अधिक मंदिर नहीं है। पर जितने गिने-चुने मंदिर हैं वो अपनी महत्वता के चलते विश्व प्रसिद्धि हासिल किए हुए हैं। छठ के इस खास अवसर पर हम आपको बताना जा रहे हैं सूर्य देवता के ऐसे मंदिर के बारे में जहां छठ के दौरान अधिक भीड़ पाई जाती है। हम बात कर रहे हैं बिहार के औरंगाबाद जिले के देव सूर्य मंदिर की जहां छठ महापर्व कुछ अलग ही अंदाज में मनाया जाता है।
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छठ पूजा के लिए इस मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। खास बात तो यह है कि देव सूर्य मंदिर में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु दर्शन के लिये आते हैं। छठ पर्व के दौरान यहां छठव्रतियों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।

छठ पर लगता है मेला
बताया जाता है छठ पर्व के दौरान यहां विशाल मेला लगता है। जिसमें लगभग 8 से 9 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। जी हां, लोक आस्था के महापर्व छठ के दौरान लोगों की अटूट आस्था यहां श्रद्धालुओं को खींच लाती है। यहां आकर लोग छठ व्रत का अनुष्ठान कर खुद को बहुत धन्य मानते हैं। मान्यता है कि यहां स्थित सूर्यकुण्ड तालाब में स्नान मात्र से ही सारे रोग दूर तो हो जाते हैं और कुष्ठ रोग तथा बांझपन की भी समस्या से निजात मिल जाता है।
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मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा के मुताबिक प्राचीन समय में औरंगाबाद के ऐल नामक राजा को कुष्ठ रोग हो गया था। एक दिन वो इलाके के जंगल में शिकार खेलने गया, शिकार खेलते-खेलते उसे प्यास लगी। उसने अपने सेनापति को पानी लाने को कहा। सेनापति पानी की तलाश करते हुए एक तालाब के पास पहुंचा और उसने वहां से एक लोटा पानी लेकर राजा को दिया। राजा के हाथ में जहां-जहां पानी का स्पर्श हुआ, वहां का कोढ़ ठीक हो गया। राजा ये देख बहुत प्रसन्न हुआ और सेनापति के साथ उस तालाब तक गया।

उसने उस तालाब के पानी से स्नान किया और उसका कुष्ठ रोग ठीक हो गया। इसके बाद राजा सेनापति के साथ महल में आ गया। रात को सपने में उसे वही तालाब दिखाई दिया जहां उसने स्नान किया था और तालाब में उसे तीन मूर्तियां भी दिखाई दी। अगले दिन सुबह राजा उसी जंगल में गया। सपने में दिखाई दी जाने वाली मूर्तियां उसे तालाब में उसी प्रकार दिखाई दी। मूर्तियां निकालकर राजा ने पास में ही एक मंदिर बनवाकर उसमें उनकी स्थापना कर दी। तब से लोगो में इस मंदिर के प्रति आस्था बढ़ गई। मंदिर के साथ उस तालाब का महत्व भी बढ़ गया। कहा जाता है इस कुंड में स्नान करने से सभी तरह के शारीरिक रोगों से मुक्ति मिल जाती है। 
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