मानो या न मानो: प्रेतों का बसेरा या लक्ष्मी का घर

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 May, 2018 08:11 AM

believe it or not

सनातन धर्म में पेड़-पौधों को भी ईश्वर तुल्य मान कर उनका पूजन किया जाता है।  यहां हम बात करेंगे पीपल के पेड़ की। इसे पावन और पूजनीय कहा गया है

सनातन धर्म में पेड़-पौधों को भी ईश्वर तुल्य मान कर उनका पूजन किया जाता है।  यहां हम बात करेंगे पीपल के पेड़ की। इसे पावन और पूजनीय कहा गया है। ये फर्नीचर बनाने से लेकर पूजा-पाठ और तन्त्र-मन्त्र की विद्याओं में काम आता है। श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है- समस्त वृक्षों में पीपल का वृक्ष हूं।

जब भी कोई हॉरर मूवी, धारावाहिक या फिर किताब पड़ी जाती है तो उसमें पीपल के पेड़ को इस तरह दर्शाया जाता है जैसे उस पर अतृप्त आत्माएं निवास करती हैं या कुछ गलत घटित हुआ था या होने वाला है। बहुत से लोग पीपल के पेड़ से डरते हैं और अपने बच्चों को भी इस पेड़ के समीप नहीं जाने देते बल्कि सच्चाई तो यह है की इस पेड़ पर भूत नहीं देव वास करते हैं। 

सनातन धर्म में पीपल वृक्ष को देवों का देव कहा गया है। शनिवार को श्री विष्णु और लक्ष्मी जी पीपल वृक्ष के तने में निवास करते हैं। इस दिन किए गए उपाय भगवान लक्ष्मी नारायण व शनिदेव की कृपा दिलवाते हैं। रात में पीपल की पूजा को निषिद्ध माना गया है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि रात में पीपल पर दरिद्रा बसती है और सूर्योदय के बाद पीपल पर लक्ष्मी का वास माना गया है। पीपल के वृक्ष को काटने से आज भी लोग डरते हैं, लेकिन यह भी बताया गया है कि यदि पीपल के वृक्ष को काटना बहुत जरूरी हो तो उसे रविवार को ही काटा जा सकता है।

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