Edited By Jyoti,Updated: 10 Nov, 2019 01:25 PM
धार्मिक व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ ऐसे स्तोत्र आदि हैं जिनका पाठ या उच्चारण मानव जीवन के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है। इन्हीं में से एक शिव तांडव स्तोत्र।
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धार्मिक व ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ ऐसे स्तोत्र आदि हैं जिनका पाठ या उच्चारण मानव जीवन के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है। इन्हीं में से एक शिव तांडव स्तोत्र। अब जहां बात शिव जी की आ जाती है वहां अद्भुत शक्तियां का ज़िक्र तो होगा क्योंकि समस्त देवी-देवताओं में से भोलेनाथ एकमात्र ऐसे देव माने जाते हैं जो भूतों,प्रेती, तांत्रिक सिद्धियां के भी आराध्य माने जाते हैं। परंतु भूतों के यही गुरु उतने ही भोले भी हैं। जब ये अपने किसी भक्त पर प्रसन्न हो जाते हैं तो उसकी जीवन में किसी प्रकार का अभाव नहीं रहता न हो उसके ऊपर किसी भूत-प्रेत का साया रहता है। इतना ही नहीं शिव तांडव स्तोत्र का निरंतर व नियमित पाठ करने वाले व्यक्ति पर सूर्य-चंद्रमा के ग्रहण काल के दौरान उनके अशुभ फलों को नहीं झेलना पड़ता।
इतना ही नहीं बल्कि कहा जाता है सूर्य ग्रहण या चंद्रग्रहण के समय इस स्तोत्र का 1008 लगातार पाठ करने से यह सिद्ध हो जाता है। जिससे जातक अपने जीवन में जो भी हासिल करना चाहता है वो हासिल कर पाता है। खासतौर पर प्रदोष के दिन या नियमित प्रदोष काल में इस स्तोत्र का पाठ करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है साथ ही साथ रोगों से मुक्ति मिलती है। बता दें जो व्यक्ति कुंडलिनी जागरण करना चाहते हैं उन्हें इसका यानि शिव तांडव स्तोत्र के पाठ का जाप अवश्य करना चाहिए।
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करते समय रखें इन बातों का ध्यान-
चूंकि शिव तांडव स्तोत्र एक जागृत और सिद्ध स्तोत्र है। इसलिए इसके पाठ में कुछ सावधानियां रखना अत्यंत आवश्यक हैं, वरना इसका लाभ नहीं मिल पाता और सारी साधना व्यर्थ हो जाती है। सबसे ज़रूर इस स्तोत्र का पाठ करते समय उच्चारण की शुद्धता रखें। हमेशा इसे धीरे-धीरे आराम से पढ़ें ताकि इसे पढ़ने में कोई गलती न हो। न ही इसका पाठ करते समय बीच में बोलें, न ही किसी की बात का जवाब दें।
पूर्ण ध्यान और एकाग्रता से इसका पाठ करें। जब तक स्तोत्र याद न हो जाए तब इसका पाठ करते समय नेत्र की सीध में शिवलिंग रखें या इनका का चित्र रखें।