मधुमक्खियों की देवी भ्रामरी देवी का मंदिर, जहां गंभीर से गंभीर बीमारी भी दर्शन मात्र से होती है ठीक

Edited By Prachi Sharma,Updated: 13 Nov, 2023 10:21 AM

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देवी के विभिन्न शक्ति पीठों में से एक, भ्रामरांबा मंदिर है, जहां आज भी भक्तों को भ्रमर यानी गुंजन के स्वर सुनाई पड़ते हैं। स्कंद पुराण की एक कथा

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Bhramari Shaktipeeth: देवी के विभिन्न शक्ति पीठों में से एक, भ्रामरांबा मंदिर है, जहां आज भी भक्तों को भ्रमर यानी गुंजन के स्वर सुनाई पड़ते हैं। स्कंद पुराण की एक कथा के अनुसार अरुणासुर नामक असुर ने ब्रह्मा जी की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया। तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने अरुणासुर से वरदान मांगने को कहा।

अरुणासुर ने कहा कि मेरी मौत दो पैरों वाले यानी देवों, मनुष्यों तथा चार पैरों वाले यानी जानवरों से न हो। ब्रह्मा जी ने ‘एवमस्तु’ कह कर वरदान दे दिया।
वरदान प्राप्त कर अरुणासुर लोगों को सताने लगा। देवता आदिशक्ति की शरण में गए। वहां आपबीती सुनाई। तब आदिशक्ति ने अरुणासुर का वध करने के लिए 6 पैरों वाले भ्रमरों को भेजकर उसका संहार किया। देवताओं को अरुणासुर से मुक्ति दिलाने वाली देवी ‘भ्रमरांविका’ के नाम से प्रसिद्ध हुईं।

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The temple is situated on a hill पहाड़ी पर स्थित है मंदिर
आंध्र प्रदेश के करनूल जिले के आत्मकूर तालुका के नल्लमल्ला अरण्य प्रांत में समुद्रतल से 1500 फुट की ऊंचाई पर देवी भ्रामरांबा का यह विशेष मंदिर है।
यह मल्लिकार्जुन मंदिर से पूर्व दिशा की ओर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इसकी खासियत है कि यहां दर्शन करने वाले को आज भी ध्यान से सुनने पर ‘मधुमक्खियों’ की गूंज सुनाई पड़ती है। मंदिर के ईशान्य में 16 स्तम्भों वाली यज्ञशाला है, जहां प्रत्येक पूर्णिमा तथा दशहरे में चंडी यज्ञ किया जाता है। सिंह मंडप में माता जी के वाहन शेर की मूर्ति है। मंदिर के मुख्य द्वार पर सहस्त्र लिंगेश्वर मंदिर है। कहते हैं कि त्रेता युग में माता सीता ने यहां हजारों शिवलिंगों की स्थापना कर उनका पूजन किया था।

मंदिर की उत्तर दिशा में रुधिर कुंड है। कहा जाता है कि इस कुंड के जल से मां का अभिषेक किया जाता है। किसी जमाने में वाम सम्प्रदाय के लोगों द्वारा यहां जानवरों की बलि दी जाने की परम्परा थी। यहां होने वाले कुंभोत्सव के अवसर पर बलि दी जाती थी लेकिन 1982 के बाद इस तरह की प्रथा पर रोक लगा दी गई।

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स्कंद पुराण की सनत्कुमार संहिता के अनुसार हेमालपुरी क्षेत्र, जो दक्षिण काशी के नाम से प्रसिद्ध है, यहां सच्चे मन से पूजन-मनन करने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

Goddess of bees मधुमक्खियों की देवी
भ्रामरी को मधुमक्खियों की देवी के रूप में जाना जाता है। देवी महात्म्य में उनका उल्लेख मिलता है। देवी भागवत पुराण में संपूर्ण ब्रह्मांड के जीवों के लिए उनकी महानता दिखाई गई और उनकी सर्वोच्च शक्तियों का वर्णन मिलता है। माता भ्रामरी को मुख्य रूप से मधुमक्खियों के हमले से बचाने के लिए पूजा जाता है। मान्यता है कि वह सभी प्रकार की गंभीर बीमारियों का इलाज करती और अपने आध्यात्मिक स्पर्श से भक्तों के मन को शांत कर देती हैं और एक पवित्र इंसान बना देती हैं क्योंकि उनका ध्यान करने वालों के सभी अवांछित और बुरे विचार दिमाग से हट जाते हैं और उनका मन केवल भक्ति और उपयोगी मामलों पर ध्यान केंद्रित होगा।

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