Edited By Jyoti,Updated: 12 Mar, 2021 05:04 PM
आज कल लोग अपने बच्चों के सामने किसी भी प्रकार की बता करने से शर्माते या घबराते नहीं है, ऐसा करना उन्हें मार्डन जमाने के साथ चलना प्रतीत होता है।
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आज कल लोग अपने बच्चों के सामने किसी भी प्रकार की बता करने से शर्माते या घबराते नहीं है, ऐसा करना उन्हें मार्डन जमाने के साथ चलना प्रतीत होता है। परंतु आज कल के मां-बाप इस बात से अंजान है इन बातों का बच्चों पर अच्छा नहीं बेहद बुरा असर पड़ता है। आचार्य चाणक्य के अनुसार बच्चों के मन मस्तिष्क पप सबसे ज्यादा माता-पिता का ही प्रभाव पड़ता हैै। वो सबसे ज्यादा अपने माता-पिता से ही सीखते हैं। इसलिए अगर मां-बाप का खुद का आचरण अच्छा होगा तभी बच्चो का आचरण अच्छा होगा।
गीता में श्री कृष्ण ने भी मनुुष्य के गुणों पर अधिक प्रकाश डाला है। श्री कृष्ण कहते हैं श्रेष्ठ गुणों को अपनाने वाला व्यक्ति कभी जीवन में दुखी नहीं होता। इसलिए बच्चों के मामले में माता-पिता को श्रेष्ठ गुणों का अपनाना चाहिए ताकि आगे चलकर उनकी संतान योग्य बन सके। ऐसे में माता-पिता को कुछ कार्यों को लेकर बच्चों के सामने अधिक ध्यान रखने की आवश्यकता होती है। क्या है वो कार्य आइए जानते हैं-
*माना जाता है कि बच्चे माता पिता की प्रत्येक चीज से शीघ्र प्रभावित होते हैं, इसीलिए वे उनकी नकल करते हैं। भाषा शैली से ही किसी भी व्यक्ति के बारे में पता चलता है। बच्चों की भाषा शैली आकर्षक व सुंदर हो, इसके लिए माता पिता को ही ध्यान रखना चाहिए। न केवल घर में बल्कि बाहर भी माता-पिता को ऐसी भाषा शैली का प्रयोग करना चाहिए जिससे बच्चों के मन पर किसी प्रकार का गलत प्रभाव न पड़े।
*आचार्य चाणक्य कहते हैं, बच्चों का मन बहुत ही कोमल होता है। इसलिए इनके मन पर कोई भी गलत चीज का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। इसलिए माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के सामने हिंसा, कलह और क्रोध आदि का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। माना जाता है इससे बच्चों के मन पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है,जिससे उनकी शिक्षा और करियर भी प्रभावित होता है।