मार्गशीर्ष मास के गुरुवार को लक्ष्मी पूजा का होता है अधिक महत्व, जानिए यहां

Edited By Jyoti,Updated: 25 Nov, 2021 01:00 PM

devi lakshmi worship on margshirsha month thursday

प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन से हिंदू पंचांग का अगहन मास शुरू हो जाता है, जिसे मार्गशीर्ष के नाम से भी जाना जाता है। बता दें इस वर्ष 19 नवबंर से इस वर्ष की प्रारंभ हो चुका है, जिसके बाद

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प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अगले दिन से हिंदू पंचांग का अगहन मास शुरू हो जाता है, जिसे मार्गशीर्ष के नाम से भी जाना जाता है। बता दें इस वर्ष 19 नवबंर से इस वर्ष की प्रारंभ हो चुका है, जिसके बाद आज यानि 25 नवंबर को इस महीना का पहला गुरुवार पड़ रहा है। ज्योतिष व धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसके उपलक्ष्य में महालक्ष्मी की पूजा का अत्यंत महत्व रहता है। मार्गशीर्ष में पड़ने वाले न केवल प्रथम गुरुवार को बल्कि इस मास के प्रत्येक गुरुवार को इनकी पूजा की  पंरपरा प्रचलित है। तो आइए जानते हैं कि अगहन मास में इनकी विशेष रूप से पूजा का क्या महत्व है और क्यों है?

धार्मिक मान्यता है कि इस मास में देवी लक्ष्मी धरती पर अवतिरत होती हैं। कहा जाता है कि इस मास में गुरुवार के दिन देवी लक्ष्मी उस व्यक्ति कि दिन आगमन करती हैं, जिसके घर में साफ-सफाई, साज सजावट के साथ पवित्रता, परिवार में प्रसन्नता तथा सात्विकता का अधिक माहौल होता है। 

सनातन धर्म में यूं तो प्रत्येक गुरुवार का अधिक महत्व है, परंतु सबसे मार्गशीर्ष मास में पड़ने वाले प्रत्येक गुरुवार का विशेष महत्व माना गया है। इसलिए इस मास में मुख्य रूप से विष्णु जी व देवी लक्ष्मी की विधि वत पूजा की जाती है।

इस दिन अपने घर के मुख्य द्वार तथा आंगन आदि के अलावा घर के अन्य विभिन्न स्थानों पर रंगोली बनानी चाहिए। इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा देवी लक्ष्मी के पद चिन्हों का चित्र भी घर के मुख्य द्वार लगाना शुभ माना जाता है। 

लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए इस दिन प्रत्येत व्यक्ति को इस दिन विधि वत रूप से माता लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए, तथा खीर जैसे मिष्ठान का भोग लगाना  चाहिए। संभव हो तो दिन में तीनों समय उन्हें उनके मनपसंद व्यंजन अर्पित करने चाहिए। 

इसके अलावा इस दिन देवी लक्ष्मी के सिंहासन को आम, आंवला या धान की बालियों से सजाएं तथा कलश की स्थापना करके देवी लक्ष्मी की विधि वत पूजा करें। 

मान्यता है कि देवी लक्ष्मी का इस दौरान बहुत अच्छे व विधि विधान से स्वागत तथा पूजन करना चाहिए, जिससे प्रसन्न होकर उन्हें जीवन में सुख-शांति तथा समृद्धि का वरदान प्राप्त हो। 
 

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