Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Jan, 2022 11:59 AM
वास्तु विद्वान कहते हैं घर में सांकेतिक वास्तु शांति पूजा पद्धति के द्वारा सुख-शांति को हमेशा के लिए स्थापित किया जा सकता है। ‘विष्णुसहस्रनाम स्तोत्र’ का विधिवत अनुष्ठान करने से सभी ग्रह, नक्षत्र
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वास्तु विद्वान कहते हैं घर में सांकेतिक वास्तु शांति पूजा पद्धति के द्वारा सुख-शांति को हमेशा के लिए स्थापित किया जा सकता है। ‘विष्णुसहस्रनाम स्तोत्र’ का विधिवत अनुष्ठान करने से सभी ग्रह, नक्षत्र, वास्तु दोषों की शांति होती है। विद्याप्राप्ति, स्वास्थ्य एवं नौकरी-व्यवसाय में खूब लाभ होता है। कोर्ट-कचहरी तथा अन्य शत्रु पीड़ा की समस्याओं में भी खूब लाभ होता है। इस अनुष्ठान को करके गर्भाधान करने पर घर में पुण्यात्माएं आती हैं। सगर्भावस्था के दौरान पति-पत्नी तथा कुटुम्बीजनों को इसका पाठ करना चाहिए।
अनुष्ठान विधि: सर्वप्रथम एक चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाएं। उस पर थोड़े चावल रख दें। उसके ऊपर तांबे का छोटा कलश पानी भर कर रखें। उसमें कमल का फूल रखें। कमल का फूल बिल्कुल ही अनुपलब्ध हो तो उसमें अडूसे का फूल रखें। कलश के समीप एक फल रखें। तत्पश्चात तांबे के कलश पर मानसिक रूप से चारों वेदों की स्थापना कर ‘विष्णुसहस्रनाम’ स्तोत्र का सात बार पाठ संभव हो तो प्रात:काल एक ही बैठक में करें तथा एक बार उसकी फल प्राप्ति पढ़ें। इस प्रकार सात या इक्कीस दिन तक करें।
रोज फूल एवं फल बदलें और पिछले दिन वाला फूल चौबीस घंटे तक अपनी पुस्तकों, दफ्तर, तिजोरी अथवा अन्य महत्पूर्ण जगहों पर रखें व बाद में जमीन में गाड़ दें। चावल के दाने रोज एक पात्र में एकत्र करें तथा अनुष्ठान के अंत में उन्हें पकाकर गाय को खिला दें या प्रसाद रूप में बांट दें। अनुष्ठान के अंतिम दिन भगवान को हलवे का भोग लगाएं।
यह अनुष्ठान हो सके तो शुक्ल पक्ष में शुरू करें। संकटकाल में कभी भी शुरू कर सकते हैं। स्त्रियों को यदि अनुष्ठान के बीच में मासिक धर्म के दिन आते हों तो उन दिनों में अनुष्ठान बंद करके बाद में फिर से शुरू करना चाहिए। जितने दिन अनुष्ठान हुआ था, उससे आगे के दिन गिनें।