Edited By Jyoti,Updated: 25 Apr, 2018 11:20 AM
एक राजा के शयनकक्ष में मंदरीसर्पिणी नाम की जूं ने डेरा डाल रखा था। रोज रात को जब राजा जाता तो वह चुपके से बाहर निकलती और राजा का खून चूस कर फिर अपने स्थान पर जा छिपती।
एक राजा के शयनकक्ष में मंदरीसर्पिणी नाम की जूं ने डेरा डाल रखा था। रोज रात को जब राजा जाता तो वह चुपके से बाहर निकलती और राजा का खून चूस कर फिर अपने स्थान पर जा छिपती।
संयोग से एक दिन अग्निमुख नाम का एक खटमल भी राजा के शयनकक्ष में आ पहुंचा। जूं ने जब उसे देखा तो वहां से चले जाने को कहा। उसे अपने अधिकार क्षेत्र में किसी अन्य का दखल सहन नहीं था लेकिन खटमल भी कम चतुर न था, बोला, ‘‘देखो, मेहमान से इस तरह बर्ताव नहीं किया जाता, मैं आज रात तुम्हारा मेहमान हूं।’’
जूं अंतत: खटमल की चिकनी-चुपड़ी बातों में आ गई और उसे शरण देते हुए बोली, ‘‘ठीक है, तुम यहां रात भर रुक सकते हो लेकिन राजा को काटोगे तो नहीं, उसका खून चूसने के लिए?’’
खटमल बोला, ‘‘लेकिन मैं तुम्हारा मेहमान हूं, मुझे कुछ तो दोगी खाने के लिए और राजा के खून से बढिय़ा भोजन और क्या हो सकता है।’’
‘‘ठीक है।’’ जूं बोली, ‘‘तुम चुपचाप राजा का खून चूस लेना, उसे पीड़ा का आभास नहीं होना चाहिए।’’
‘‘जैसा तुम कहोगी, बिल्कुल वैसा ही होगा।’’ कहकर खटमल शयनकक्ष में राजा के आने की प्रतीक्षा करने लगा।
रात ढलने पर राजा वहां आया और बिस्तर पर पड़कर सो गया। उसे देख खटमल सब कुछ भूलकर राजा को काटने लगा, खून चूसने के लिए। ऐसा स्वादिष्ट खून उसने पहली बार चखा था, इसलिए वह राजा को जोर-जोर से काट कर उसका खून चूसने लगा।
इससे राजा के शरीर में तेज खुजली होने लगी और उसकी नींद उचट गई। राजा ने क्रोध में भर कर अपने सेवकों से खटमल को ढूंढकर मारने को कहा। यह सुनकर चतुर खटमल तो पलंग के पाए के नीचे छिप गया लेकिन चादर के कोने पर बैठी जूं राजा के सेवकों की नजर में आ गई। उन्होंने उसे पकड़ा और मार डाला।
शिक्षा: यह कहानी एक महत्वपूर्ण शिक्षा देती है कि हमें अजनबियों की चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर उन पर भरोसा नहीं करना चाहिए अपितु उनसे सावधान ही रहना चाहिए।