Edited By Niyati Bhandari,Updated: 28 Jul, 2023 06:40 AM
शुक्रवार का दिन मां संतोषी को बहुत प्रिय है इसलिए इस रोज उनकी पूजा की जाती है। जो व्यक्ति सच्चे मन से शुक्रवार को व्रत रखता है,
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Friday Special: शुक्रवार का दिन मां संतोषी को बहुत प्रिय है इसलिए इस रोज उनकी पूजा की जाती है। जो व्यक्ति सच्चे मन से शुक्रवार को व्रत रखता है, मां संतोषी खुश होकर उसकी हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। माता संतोषी को सुख-शांति और वैभव का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं शुक्रवार को उनके निमित्त व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में संतोष बना रहता है और इसी के साथ धन और विवाह से जुड़ी सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं। कोई भी पूजा या व्रत बिना आरती के अधूरा माना जाता है इसलिए पूजा करने के बाद आरती पढ़नी या सुननी चाहिए। अगर आप भी शुक्रवार के दिन संतोषी माता का व्रत रखते हैं तो पूजा के बाद ये आरती पढ़नी चाहिए। लगातार 16 शुक्रवार तक मां संतोषी की पूजा करने से भाग्योदय होता है।
संसार की मनचाही वस्तु प्राप्त करने के लिए अगर व्रत नहीं भी कर रहे तो सारा परिवार मिलकर मां संतोषी की आरती करे। उन्हें गुड़ और चने का भोग लगाकर प्रसाद के तौर पर सारा परिवार मिलकर खाए। शुक्रवार को खट्टी चीजें खाने से परहेज करें। परिवार का कोई भी सदस्य मांस-मदिरा का सेवन न करे। सच्चे मन से शुक्रवार के दिन ऐसा करने से कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर मिलता है। लव मैरिज का सपना पूरा होता है। जीवन की किसी भी परीक्षा में मनचाही सफलता प्राप्त होती है। कोर्ट-कचहरी के मामले में जीत हासिल होती है। बिजनेस में छप्पर फाड़ लाभ मिलता है।
Santoshi Mata Aarti संतोषी माता की आरती
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन को, सुख संपति दाता।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
सुंदर, चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके, तन शृंगार लीन्हो।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करूणामयी, त्रिभुवन जन मोहे।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ..
स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधुमेवा, भोग धरें न्यारे।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
गुड़ अरु चना परम प्रिय, तामे संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
जय शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
दुखी, दरिद्री ,रोगी , संकटमुक्त किए।
बहु धनधान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
ध्यान धरो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदंबे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..
संतोषी मां की आरती, जो कोई नर गावे।
ऋद्धि सिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता..