Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Sep, 2018 11:19 AM
हवा में उड़ता लाल गुलाल, ढोल नगाड़ों के साथ ''गणपति बप्पा मोरिया, चार लड्डू चोरिया, एक लड्डू टूट ग्या, नि गणपति बप्पा घर अइग्या'' की धूम।
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गणेश उत्सव : हवा में उड़ता लाल गुलाल, ढोल नगाड़ों के साथ 'गणपति बप्पा मोरिया, चार लड्डू चोरिया, एक लड्डू टूट ग्या, नि गणपति बप्पा घर अइग्या' की धूम। हर किसी का मन मोह लेती है। इनकी आराधना के बिना किसी भी कार्य की सफलता संदिग्ध मानी जाती है। किसी भी देवी-देवता के पूजन से पूर्व गणेश जी का पूजन अनिवार्य है। मान्यता है कि गणेश जी का नाम लेकर काम शुरू करने से उसमें विघ्न नहीं पड़ता और लक्ष्य की प्राप्ति होती है। गणेश जी को भारतीय संस्कृति में पूर्ण ज्ञान और विवेक का प्रतीक माना गया है। 13 सितंबर से 23 सितंबर तक गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का पर्व मनाया जाएगा।
गणेश चतुर्थी कब है
चतुर्थी तिथि का आरंभ 12 सितंबर को 16 बजकर 7 मिनट पर हो जाएगा। जो 13 सितंबर को 14 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। 13 सितंबर को गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 3 मिनट से 13 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
गणेश चतुर्थी की रात चन्द्र दर्शन करना निषेध रहता है। चांद का दीदार करने पर मनाही है। मान्यता है कि चंद्र दर्शन से मिथ्यारोप लगने या किसी कलंक का सामना करना पड़ता है। दृष्टि धरती की ओर करके चंद्रमा की कल्पना मात्र करके अर्घ्य देना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण ने भूलवश इसी दिन चांद देख लिया था और फलस्वरूप उन पर हत्या व स्मयंतक मणि, जो आज कल कोहीनूर हीरा कहलाता है और इंगलैंड में है, को चुराने का आरोप लगा था। इसके अलावा आप हाथ में फल या दही लेकर भी दर्शन कर सकते हैं।
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