इन 5 कामों की वजह से व्यक्ति को नहीं मिलता समाज में मान-सम्मान

Edited By Lata,Updated: 01 May, 2019 10:29 AM

garuda purana

गरुड़ पुराण एक ऐसा पुराण है जिसमें जन्म और मरण तक के सारे रहस्यों के बारे में बताया गया है।

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गरुड़ पुराण एक ऐसा पुराण है जिसमें जन्म और मरण तक के सारे रहस्यों के बारे में बताया गया है। इसी पुराण में आचारकांड में नीतिसार नाम का एक अध्याय है, जिसमें सुखी व सफल जीवन की नीतियां बताई गई हैं। कई बार इंसान अपने जीवन में ऐसे काम कर लेता है जिसकी वजह से उसे वो मान-सम्मान नहीं मिलता जोकि उसे मिलना चाहिए। बल्कि उसे हर बार फिर अपमान का सामना करना पड़ता है। आज हम आपको इसी नीतिसार में बताए गए उन 5 कामों के बारे में बताएंगे जिनको करने से आपको अपमान सहना पड़ता है।
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कहते हैं कि जब कोई व्यक्ति अपनी संतान के पालन-पोषण करने में थोड़ी सी अगर चूक कर देता है तो उसकी संतान बिगड़ जाती है। यानि जब कोई अपने बच्चों को अच्छे संस्कार नहीं दे पाते तो वह गलत संगति में पड़ जाते हैं। कई बार उनकी गलत बातों व हरकतों की वजह से उनके मां-बाप को अपमानित होना पड़ता है। तो ऐसे में हर व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपने बच्चे को हर वो संस्कार दें जो उसे मिलने चाहिए।  

शास्त्रों के अनुसार अगर धन का सही उपयोग और जरूरत पड़ने पर अगर उसका इस्तेमाल न किया जाए तो वह व्यक्ति लालची कहलाता है। क्योंकि ऐसे लोगों को केवल पैसा कमाने का ही भूत सवार होता है। इसके लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हो जाते हैं। जैसे बड़ी-बड़ी मछलियां भी छोटे से मांस के टुकड़े के लालच में फंसकर अपने प्राण गवां देती हैं। इसी प्रकार इंसान भी धन के लोभ में फंसकर कई परेशानियों को बुलावा देता है।
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जो लोग अपनी आमदनी से ज्यादा खर्च करते हैं, उन्हें भी कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई बार ऐसा देखा जाता है कि लोगों की आमदनी इतनी नहीं होती जितने कि उनके खर्च होते हैं, जिसे फिजूलखर्च कहा गया है। इसलिए व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है कि जितनी चादर हो उतने ही पैर पसाराने चाहिए।  

अच्छी या बुरी संगति का असर हमारे जीवन पर होता है। यदि हमारी संगत गलत लोगों के साथ है तो कुछ समय तो सुख की अनुभूति होगी, लेकिन परिणाम बहुत बुरा हो सकता है। बुरी संगत से बचना चाहिए। इस बात के कई उदाहरण है, जहां दुष्टों की संगत में लोग बर्बाद हुए हैं। दुर्योधन के साथ कर्ण, रावण के साथ कुंभकर्ण और मेघनाद श्रेष्ठ उदाहरण है। हमें दुष्ट लोगों का साथ छोड़ देना चाहिए।
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आज के समय में अक्सर ऐसे लोग देखने को मिलते हैं जोकि अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए दूसरों का बूरा कर देते हैं। वे ये तक नहीं सोचते कि उन्हें बाद में इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे। इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि अगर हम अच्छे काम करेंगे तो उसके परिणाम ही मिलेंगे और बूरा करेंगे तो उसके परिणाम भी बूरा ही होगा।  

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