Edited By Lata,Updated: 03 Jun, 2019 01:17 PM
बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध को तो सब जानते ही हैं। उन्होंने अपने प्रवचनों व उपदेशों के माध्यम से लोगों को बहुत सी बातों को लेकर जागृति किया है।
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बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध को तो सब जानते ही हैं। उन्होंने अपने प्रवचनों व उपदेशों के माध्यम से लोगों को बहुत सी बातों को लेकर जागृति किया है। जिन्हें अपनाकर हर व्यक्ति जीवन को एक नई राह पर लेकर जा सकता है। बुद्ध के हर एक प्रसंग में सुखी जीवन जीने के कई सुत्र छिपे हुए हैं। उनके विचार ऐसे थे कि अगर कोई निराश व्यक्ति भी उसे पढ़ ले तो उसके जीवन का मकसद बदल सकता है। तो चलिए आज हम आपको उनसे जुड़े ऐसे एक प्रसंग के बारे में बताएंगे, जिसमें बताया गया है कि कभी किसी दूसरे की कमाई पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
एक दिन महात्मा बुद्ध के प्रवचनों में एक सेठ पहुंचा। सेठ को बुद्ध की बातों ने बहुत प्रभावित किया। उसके बादे से ही सेठ ने बुद्ध को अपने घर खाने पर आमंत्रित किया। गौतम ने सेठ की बात मान ली और अपने शिष्यों के साथ सेठ के घर पहुंच गए। बुद्ध के शिष्यों ने सेठ के घर जाकर उससे कहा कि ध्यान रहे तथागत सिर्फ ताजा भोजन ही ग्रहण करते हैं। सेठ ने भी कहा ठीक है।
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सेठ ने तथागत को बताया कि वह जन्म से ही अमीर है। उसके पूर्वजों ने इतना धन कमाया कि आज उसे कुछ भी करने की जरूरत नहीं होती है। आने वाली सात पीढ़ियां भी आराम से रह सकेंगी। कुछ देर बाद बुद्ध के लिए भोजन परोसा गया। बुद्ध के सामने खाना आते ही उन्होंने सेठ से कहा कि मैं ये भोजन ग्रहण नहीं कर सकता। मेरे शिष्यों ने आपको बताया था कि मैं सिर्फ ताजा भोजन ग्रहण करता हूं। सेठ ने कहा कि तथागत ये ताजा भोजन ही है। तब बुद्ध ने कहा कि नहीं ये भोजन तुम्हारे पूर्वजों की कमाई से बना है। इसके लिए तुमने इसे कमाने में कोई श्रम नहीं किया है। जिस दिन तुम अपनी मेहनत से धन कमाकर मुझे खाना खिलाओगे, मैं खुशी-खुशी वह खाना ग्रहण कर लूंगा। इस प्रसंग से हमें ये सीख मिलती है कि किसी भी व्यक्ति को किसी दूसरें की कमाई पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। धन कमा कर खुद अपना और अपने परिवार का पालन पोषण करना चाहिए।
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