शनिवार का गुडलक- बैसाखी पर ये उपाय देंगे छप्पर फाड़ लाभ

Edited By Aacharya Kamal Nandlal,Updated: 14 Apr, 2018 07:36 AM

शनिवार दिनांक 14.04.18 को मेष संक्रांति व बैसाखी पर्व मनाया जाएगा। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के दिन को मेष संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। सौर्य कैलेंडर को मानने वाले लोगों के अनुसार इसी दिन से नव वर्ष का आरंभ होता है।

शनिवार दिनांक 14.04.18 को मेष संक्रांति व बैसाखी पर्व मनाया जाएगा। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने के दिन को मेष संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। सौर्य कैलेंडर को मानने वाले लोगों के अनुसार इसी दिन से नव वर्ष का आरंभ होता है। वैशाख माह में सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए वैशाख माह की संक्रांति को मेष संक्रांति कहते हैं। ज्योतिषशास्त्र में मेष संक्रांति का बड़ा महत्व है। इस दिन से खरमास की समाप्ति व मंगल कार्यों की शुरुआत हो जाती है। 


आम के फल के सेवन की शुरुआत भी इसी दिन से करने की मान्यता है। साथ ही यह दिन पवित्र नदियों में स्नान एवं दान-पुण्य के लिये बड़ा अच्छा माना गया है। इस दिन स्नान पूजन के बाद सत्तू, जल से भरा घड़ा, ताड़ का पंखा इस विश्वास से दान किया जाता है कि अगले जन्म में गर्मी के समय उन्हें भी इन चीजों का सुख मिलेगा। 


मेष संक्रांति का यह पर्व पंजाब में बैसाखी, पूर्व भारत में ‘सतुआ संक्रांति’ के नाम से जाना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान को जौ या चने के सत्तू भोग लगाया जाता है। इस दिन सत्यनारायण की पूजा का विधान है। इस दिन लाल रंग के वस्त्र में नया बही-खाता लपेटकर मंदिर में जाकर भगवान के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है व व्यापार की समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगा जाता है। संक्रांति के दिन दान आदि करने से बहुत लाभ मिलता है। संक्रांति काल को पूजा और दान आदि करने के लिए शुभ माना जाता है। बैसाखी के दिन सूर्य, शिव व विष्णु का विशेष पूजन किया जाता है। इस दिन आम का पन्ना, गुड़ का शर्बत, पानी से भरे मटके का दान विशेष माना जाता है। मेष संक्रांति के विशेष पूजन व्रत व उपाय से आर्थिक समस्या का निदान होता है, पारिवारिक टेंशन खत्म होती है व शिक्षण कैरियर में सफलता मिलती है।
 

संक्रांति काल मुहूर्त 
मेष संक्रांति पुण्यकाल मुहूर्त:
प्रातः 06:00 से दिन 12:27 तक। 
मेष संक्रांति महापुण्य काल: प्रातः 08:03 से प्रातः 08:51 तक। 


पूजन विधि: प्रातः काल में सूर्यदेव का विधिवत दोषोपचार पूजन करें। लाल तेल का दीप करें, गुगल की धूप करें, रोली, केसर, सिंदूर व आलता चढ़ाएं। लाल-पीले फूल चढ़ाएं, गुड़ में बने हलवे का भोग लगाएं तथा रोली, हल्दी व सिंदूर मिश्रित जल से सूर्यदेव को अर्घ्य दें तथा लाल चंदन की माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद भोग प्रसाद रूप में वितरित करें। 


पूजन मुहूर्त: प्रातः 08:00 से प्रातः 09:00 तक है।  
पूजन मंत्र: ॐ दिनकराय नमः॥


आज का शुभाशुभ
अमृत वेला शाम
03:00 से शाम 04:30 तक।
गुलिक काल - सुबह 06:00 से सुबह 07:30 तक।
अभिजीत मुहूर्त: दिन 11:36 से दिन 12:24 तक।
राहु काल - सुबह 09:00 से सुबह 10:30 तक। 
यमगंड काल - दिन 13:30 से दिन 15:00 तक।

यात्रा महूर्त: दिशाशूल - पूर्व, राहुकाल वास - पूर्व। अतः आज पूर्व दिशा की यात्रा टालें।

आज का गुडलक ज्ञान
आज का गुडलक कलर:
काला।
आज का गुडलक दिशा: पश्चिम।
आज का गुडलक मंत्र: ह्रीं मार्ताण्डाय नमः॥
आज का गुडलक टाइम: रात 21:00 से रात 22:00 तक।


आज का बर्थडे गुडलक: परीक्षा में सफलता के लिए सूर्यदेव पर चढ़े खजूर गरीब छात्रों में बांटें।   


आज का एनिवर्सरी गुडलक: आर्थिक समस्याओं के निदान के लिए आलता से तिजोरी पर "ह्रीं" लिखें।


गुडलक महागुरु का महा टोटका: शिक्षण कैरियर में सफलता के लिए सूर्यदेव पर चढ़ा लाल रंग का पेन प्रयोग में लें।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 

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