होने जा रहा देवगुरु बृहस्पति का सबसे बड़ा गोचर, कन्या राशि पर प्रभाव

Edited By Prachi Sharma,Updated: 11 Feb, 2024 08:44 AM

आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। बृहस्पति बहुत ही इंपॉर्टेंट ग्रह हैं। आपकी कुंडली में बहुत अहमियत रखते हैं। कुंडली में 12 भाव होते हैं

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Guru Transit: आज बात करेंगे देव गुरु बृहस्पति की। बृहस्पति बहुत ही इंपॉर्टेंट ग्रह हैं। आपकी कुंडली में बहुत अहमियत रखते हैं। कुंडली में 12 भाव होते हैं, जिनमें से चार भावों के कारक गुरु होते हैं। सबसे पहले तो गुरु धन भाव दूसरे भाव के कारक गुरु हैं। पांचवा भाव सुत भाव इसके कारक गुरु हैं। नौवां भाव भाग्य स्थान है इसके कारक गुरु हैं। 11वां भाव आय का भाव आपकी इच्छाओं की पूर्ति का भाव है। धन ,संतान, फैमिली के बिना इंसान जो है बहुत अधूरा फील करता है, यह सारी चीजें गुरु से आती हैं। बहुत कम लोग होते हैं जिनको कुंडली में गुरु की महादशा मिलती है। गुरु आपकी कुंडली में अच्छा फल करते हैं तो निश्चित तौर पर आपको लाइफ में सारे सुख मिलते हैं।

कन्या राशि के जातकों की बात करेंगे। अगर आपकी उम्र 35 साल से लेकर 50 साल के बीच है तो निश्चित तौर पर आप गुरु की महादशा से गुजर रहे हैं। ऐसा भी हो सकता है कि कुछ जातकों की उम्र 30 से 45 साल के बीच है, उनके ऊपर भी गुरु की महादशा चल रही होगी क्योंकि यह नक्षत्र के चरण का थोड़ा सा अंतर हो सकता है। अगर हम 30, 45, 50 के बीच लेंगे तो सबके ऊपर गुरु की महादशा चल रही है और जो महादशा होती है वैदिक एस्ट्रोलॉजी में वह रोलिंग प्लानेट होता है। यानी की 15 या 16 साल आपकी लाइफ में रूल कौन करेगा तो 16 साल जब रूल गुरु ने करना है, तो निश्चित तौर पर आपके लिए वो चीजें बहुत अच्छे फल करेंगी, जब गुरु शुभ गोचर में आ जाएंगे। अब गुरु पांच भावों में शुभ गोचर में रहते हैं। कुंडली में 12 भाव होते हैं,लेकिन कुछ भावों में अशुभ भावों में चले जाते हैं ।

कन्या राशि के जातकों के लिए जो गुरु का गोचर 30 अप्रैल को हो रहा है और ये गोचर भाग्य स्थान के ऊपर से हो रहा है। इस समय गुरु अष्टम में गोचर कर रहे हैं। अष्टम का गोचर अच्छा नहीं होता। उसमें जान आ जाएगी जैसे ही वह 30 अप्रैल को भाग्य स्थान के ऊपर से गोचर करना शुरू करेंगे। गुरू का नौवें का गोचर अच्छा है। दशानाथ यानी की रूलिंग प्लेनेट आपका नौवें भाव से गोचर करेगा। यह आपके लिए बहुत अच्छा हो जाएगा। जब भाग्य स्थान के ऊपर से गुरु गोचर करेंगे तो सबसे पहले पांचवी दृष्टि से देखेंगे आपके चंद्रमा को। चंद्रमा के ऊपर गुरु की दृष्टि होना अपने आप में बहुत पॉजिटिविटी लाने वाला है। चंद्रमा आपका मन होता है यदि इसके ऊपक नेगेटिव ग्रह का प्रभाव पड़ता है, तो आप व्यथित फील करते हैं, आप बेचैन रहते हैं और आप डिस्टर्ब रहते हैं लेकिन

जब चंद्रमा आपके शुभ प्लेनेट के प्रभाव में आता है। बुध, गुरु, शुक्र शुभ प्लेनेट है, तो जब चंद्रमा इनके ऊपर से आता है या इनको देखता है या चंद्रमा के ऊपर इनकी दृष्टि होती है, तो निश्चित तौर पर आप पॉजिटिव फील करते हैं। दोस्तों में रहते हैं, फैमिली में रहते हैं वहां पर आपका एटीट्यूड, बिहेवियर थोड़ा सा पॉजिटिव होना शुरू होता है। ऐसा होता है जब-जब आप शुभ ग्रह के प्रभाव में आते हैं और आपका चंद्रमा जब शुभ ग्रह के प्रभाव में आता है। यह हो रहा है 30 अप्रैल के बाद से 30 अप्रैल को चंद्रमा आपका गुरु के प्रभाव में आ जाएगा। आप निश्चित तौर पर थोड़ा हेल्दी और मानसिक तौर पर अपने आप को मजबूत भी फील करेंगे। जब यह सारी चीजें हो जाती हैं, तो आपको निश्चित तौर पर फैसले लेने की ताकत अच्छी आ जाती है। इसके बाद आप काम अच्छा करते हो और दोस्तों के साथ रिलेशनशिप में भी अच्छे रहते हो और फैमिली के साथ भी आपका रिलेशनशिप बढ़िया रहता है। गुरु जब नौवें भाव में गोचर करते हैं तो तीसरे भाव को देखते हैं। तीसरा प्रभाव आपका पराक्रम का भाव है। आपका छोटा भाई यहीं से आता है यदि छोटे भाईयों के साथ किसी तरह की कोई परेशानी चल रही है, कोई सहयोग नहीं मिल रहा या उनकी हेल्थ को कोई इशू हो रहा है तो निश्चित तौर पर गुरु यहां पर ब्लेसिंग जरूर देंगे। आप कोई भी फैसला करेंगे वहां पर आप पूरा पराक्रम के साथ करेंगे।

अब यहां पर गुरु जब भाग्य स्थान में बैठे हैं तो एक दृष्टि आएगी गुरु की आपके पंचम भाव के ऊपर, पंचम भाव संतान का भाव है। पंचम भाव इजी गेंस, हायर स्टडी का भाव है। पंचम भाव से इनकम भी काउंट करते हैं। यहां पर संतान भाव के ऊपर गुरु की दृष्टि होने का मतलब यह है कि संतन की तरफ से कोई अच्छी खबर आ सकती है या फिर आपके घर में संतान आ सकती है। यदि आप प्लानिंग कर रहे हैं तो गुरु की ब्लेसिंग आपको मिलने वाली है 30 अप्रैल के बाद तो निश्चित तौर पर यह समय अच्छा रहेगा संतान के लिहाज से, संतान की आगमन, संतान के हेल्थ और संतान की तरफ से अच्छे समाचार सुनने को मिलेंगे। यदि आप इनवेसमेंट करने के बारे में सोच रहे हैं तो उसमें आपको अच्छे रिजल्टस मिलेंगे। यह त्रिकोण का दूसरा सबसे शुभ भाव होता है। जहां पर गुरु का गोचर हो रहा है, वो कुंडली का पहला सबसे शुभ भाव होता है। गुरु के द्वारा तो निश्चित तौर पर कन्या राशि के जातकों को गुरु के इस गोचर के अच्छे फल मिलेंगे क्योंकि गुरु जो है, वो अच्छी पोजीशन में है, शुभ गोचर में है और आपको अच्छा फल करेंगे।  

उपाय- गुरु ज्ञान के कारक हैं। सबसे पहले गुरु फलदार पेड़ों के कारक हैं तो गुरु के उपाय के तौर पर दो चीज आप कर सकते हैं। यदि किसी बच्चे को स्टडी में हेल्प की जरूरत है, वो हेल्प पेन, कॉपी और ट्यूशन फीस के रूप में हो सकती है। आपकी असिस्टेंट से किसी बच्चे को ज्ञान मिलता है, वह गुरु का बेहतरीन उपाय है। दूसरा जो गुरु है, वो फलदार पेड़ों के कारक ग्रह हैं। हमारा शास्त्र कहता है यदि आप संतान पैदा करते हैं, तो उसकी संभावना हो सकती है कि वह अच्छी न निकलें। लेकिन आप एक पेड़ लगाते है, तो उसकी कोई संभावना नहीं हा कि वह पेड़ अच्छा नहीं निकलेगा। वो पेड़ बड़ा होकर छाया और फल अवश्य देगा। गुरु तो वैसे ही फलदार पेड़ों के कारक ग्रह हैं। एक फलदार पेड़ लगाएं और देखे कि जैसे-जैसे उसके फल आपको मिलते हैं। वैसे-वैसे ही गुरु के फल आपको मिलते हैं।

नरेश कुमार
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