ग्रहण में राहु-केतु क्यों करते हैं सूर्य-चंद्रमा को शापित?

Edited By Jyoti,Updated: 04 Jun, 2020 04:05 PM

hindu mythology rahu and ketu are behind the eclipse

इतना तो सब जानते हैं ग्रहण का समय काफी हद तक अशुभ माना जाता है। यही कारण है कि इस दौरान काफी सावधानियां बरती जाती हैं।

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इतना तो सब जानते हैं ग्रहण का समय काफी हद तक अशुभ माना जाता है। यही कारण है कि इस दौरान काफी सावधानियां बरती जाती हैं। इससे जुड़ी तमाम जानकारी आपको अपनी वेबसाइट के माध्यम से बताते आ रहे हैं। इसी बीच अभी हम आपको बताएंगे ग्रहण के दौरान राहु-केतु द्वारा सूर्य-चंद्रमा को शापित किया जाने का रहस्य। जीं हां, हो सकता है आप ने आज तक आपने इस बारे में न सुना हो। तो क्या हो, हम आपको बताते हैं कैसे और क्यों राहु केतु, सूर्य चंद्रमा को शापित कर देते हैं। तो चलिए जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा-
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लेकिन इससे पहले आपको बता देते हैं खगोल विज्ञान के अनुसार, जहां ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जिसके तहत सूर्य और चंद्रमा के साथ पृथ्वी तीनों एक ही रेखा में हों और दोनों के बीच में पृथ्वी आ जाती है। जिस कारण सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक नहीं पहुंचता है। तो अगर धार्मिक दृष्टिकोण की मानें तो ग्रहण राहु-केतु के कारण लगता है। इस घटना में दोनों ग्रह सूर्य और चंद्रमा को शापित करते हैं। 

दरअसल कथाएं प्रचलित हैं कि देवासुर संग्राम में जब समुद्र मंथन हुआ तो उस मंथन से 14 रत्न निकले थे जिसमें से एक अमृत का कलश भी था। इसे पाने के लिए अब देवताओं और दानवों के बीच विवाद शुरू हो गया। ये देखकर इसे सुलझाने के लिए सुलझाने के लिए श्री हरि विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर लिया। भगवान विष्णु का ये रूप देखकर समस्त देवता व दानव अपना आपा खो बैठे और उन पर मोहित हो उठे तब भगवान विष्णु ने देवताओं और दानवों को अलग-अलग बिठा दिया। 
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मगर तभी एक असुर को भगवान विष्णु की इस चाल पर शक पैदा हुआ और वह छल से देवताओं की पंक्ति में आकर बैठ गया और अमृत पान करने लगा। परंतु चंद्रमा और सूर्य ने इस दानव को पहचान लिया। उन्होंने इस बारे मे भगवान श्री हरि विष्णु को बताया।  जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से दानव का सिर धड़ से अलग कर दिया। परंतु उस दानव ने अमृत को गले तक उतार लिया था, जिस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई और उसके सिर वाला भाग राहू और धड़ वाला भाग केतू के नाम से जाना गया।

कथाओं की मानें तो यही कारण है कि राहू और केतु सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानते हैं। पूर्णिमा और अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा का ग्रहण से शापित करते हैं। पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण और अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण लगता है।
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