Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Mar, 2023 08:41 AM

सारे मन भेद त्याग कर परस्पर प्रेम प्यार से गले मिलने का रंगारंग पर्व होली आज यानी बुधवार 8 मार्च को है। इससे ठीक पहले होलिका दहन हुआ। हालांकि, फाल्गुन माह, रंगों, उमंगों, उत्साह, मन की चंचलता से
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Holi March 2023- सारे मन भेद त्याग कर परस्पर प्रेम प्यार से गले मिलने का रंगारंग पर्व होली आज यानी बुधवार 8 मार्च को है। इससे ठीक पहले होलिका दहन हुआ। हालांकि, फाल्गुन माह, रंगों, उमंगों, उत्साह, मन की चंचलता से भरा होता है। महाशिवरात्रि के एकदम बाद फाल्गुनी वातावरण सुरम्य, गीत-संगीत, हास-परिहास, हंसी-ठिठोली, हल्की-फुल्की मस्ती, कुछ शरारतें, लट्ठमार होली जैसे आयोजनों से ओतप्रेात यह निश्छल प्रेम, रंगों के चरम स्पर्श की सिहरन को हृदय के भीतर तक आत्मसात करने का त्यौहार है।
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जहां यह शुद्ध प्रेम और स्नेह के प्रतीक श्री कृष्ण की रास का अवसर है वहीं होलिका दहन, अच्छाई की विजय का परिचायक भी है। रासरंग, उन्मुक्त वातावरण का एक राष्ट्रीय, धार्मिक व सांस्कृतिक त्यौहार है। इस त्यौहार पर न चैत्र-सी गर्मी होती है, न पौष की ठिठुरन, न आषाढ़ का भीगापन, न सावन का गीलापन...बस वसंत की विदाई और मदमाता मौसम है। हमारे देश में यह सद्भावना का पर्व है जिसमें वर्ष भर का वैमनस्य, वर्गीकरण आदि गुलाल के बादलों से छंट जाता है। अत: इसे शालीनता से मनाना चाहिए न कि अभद्रता से।

प्राचीन काल में होली
हिरण्यकश्यप जैसे राक्षस के यहां प्रहलाद जैसे भक्त पुत्र का जन्म हुआ। अपने ही पुत्र को पिता ने जलाने का प्रयास किया। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान था कि अग्नि उसे जला नहीं सकती इसलिए प्रहलाद को उसकी गोद में बिठाया गया परंतु ईश्वरनिष्ठ बालक अपनी बुआ की गोद से हंसता खेलता बाहर आ गया और होलिका भस्म हो गई। तभी से प्रतीकात्मक रुप से इस संस्कृति को उदाहरण के तौर पर कायम रखा गया है और उत्सव से एक रात्रि पूर्व होलिका दहन की परम्परा पूरी श्रद्धा व धार्मिक हर्षोल्लास से मनाई जाती है।
