Independence Day: भगत सिंह की छाया बनकर रहे थे ये स्वतंत्रता सेनानी

Edited By Lata,Updated: 15 Aug, 2019 09:54 AM

independence day

अमर क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त को देश ने सबसे पहले 8 अप्रैल, 1929 को जाना

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)
अमर क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त को देश ने सबसे पहले 8 अप्रैल, 1929 को जाना, जब वह शहीद-ए-आजम भगत सिंह के साथ केंद्रीय विधानसभा में बम विस्फोट के बाद गिरफ्तार किए गए।
PunjabKesari, kundli tv,  बटुकेश्वर दत्त
बटुकेश्वर दत्त का जन्म 18 नवम्बर, 1910 को बंगाल के बर्दवान जिले के ग्राम औरी के एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनका बचपन औरी के अलावा और कई जगहों पर भी बीता। दत्त की स्नातक स्तरीय शिक्षा कानपुर के पी.पी.एन. कालेज में सम्पन्न हुई। वर्ष 1924 में कानपुर में ही उनकी मुलाकात भगत सिंह से हुई। इसके बाद उन्होंने सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के लिए कानपुर में कार्य करना प्रारंभ किया। इसी क्रम में उन्होंने बम बनाना भी सीखा। 8 अप्रैल, 1929 को दिल्ली स्थित केंद्रीय विधानसभा (वर्तमान का संसद भवन) में भगत सिंह के साथ बम विस्फोट कर ब्रिटिश राज की तानाशाही का विरोध किया। हालांकि विस्फोट किसी को नुक्सान पहुंचाने के लिए नहीं किया गया था। विस्फोट के बाद भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने फैंके गए पर्चों के माध्यम से अपनी बात को प्रचारित किया। इसी दिन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार की ओर से ‘पब्लिक सेफ्टी बिल’ और ‘ट्रेड डिस्प्यिूट बिल’ लाया गया, जो लोगों के विरोध के कारण एक वोट से पारित नहीं हो पाया।

इस घटना के बाद बटुकेश्वर दत्त और भगत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। 12 जून, 1929 को इन दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। सजा सुनाने के बाद इन लोगों को लाहौर फोर्ट जेल में डाल दिया गया। गौरतलब है कि ‘साइमन कमीशन’ के विरोध-प्रदर्शन के दौरान लाहौर में लाला लाजपतराय को अंग्रेजों के इशारे पर अंग्रेजी राज के सिपाहियों द्वारा इतना पीटा गया कि उनकी मृत्यु हो गई।
PunjabKesari, kundli tv,  बटुकेश्वर दत्त
इस मृत्यु का बदला लेने के लिए क्रांतिकारियों द्वारा अंग्रेजी राज के जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को मारने का निर्णय लिया गया था। इस कार्रवाई के परिणामस्वरूप लाहौर षड्यंत्र केस चला, जिसमें भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा दी गई थी।

बटुकेश्वर दत्त को आजीवन कारावास काटने के लिए कालापानी जेल भेज दिया गया। जेल में ही उन्होंने वर्ष 1933 और 1937 में ऐतिहासिक भूख हड़ताल की। सेल्यूलर जेल से वर्ष 1937 में दत्त को बांकीपुर केंद्रीय कारागार, पटना लाया गया। यहीं से वर्ष 1938 में उनकी रिहाई हुई। कालापानी से गंभीर बीमारी लेकर लौटे दत्त फिर गिरफ्तार कर लिए गए और चार वर्षों के बाद 1945 में रिहा किए गए।

आजादी के बाद नवंबर 1947 में अंजलि दत्त से शादी करने के बाद वह पटना में रहने लगे। बटुकेश्वर दत्त को अपना सदस्य बनाने का गौरव बिहार विधान परिषद ने वर्ष 1963 में प्राप्त किया। बीमारी से जूझ रहे दत्त ने 20 जुलाई, 1965 को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुविज्ञान संस्थान में अंतिम सांस ली। मृत्यु के बाद उनका दाह संस्कार उनके अन्य क्रांतिकारी साथियों भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव के समाधिस्थल पंजाब के हुसैनीवाला में किया गया-ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि यह उनकी अंतिम इच्छा थी।     (‘लोकदशा’ से साभार)

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!