Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Jan, 2023 11:17 AM
गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर शांति निकेतन के अपने एकांत कमरे में कविता लिखने में तल्लीन हो गए थे। तभी नीरवता को बेधती हुई एक आवाज आई, ‘‘रुको आज तुम्हें खत्म ही कर देता हूं।’’
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Inspirational Story: गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर शांति निकेतन के अपने एकांत कमरे में कविता लिखने में तल्लीन हो गए थे। तभी नीरवता को बेधती हुई एक आवाज आई, ‘‘रुको आज तुम्हें खत्म ही कर देता हूं।’’
रबींद्रनाथ ने दृष्टि उठाई। देखा एक डकैत चाकू लिए हुए उन पर वार करने के लिए प्रस्तुत है।
वह कविता लिखने में पुन: तल्लीन हो गए और धीरे से कहा, ‘‘मुझे मारना चाहते हो ठीक है मारना लेकिन एक बहुत ही सुंदर भाव आ गया है, कविता पूरी कर लेने दो।’’
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भाव में इतने डूबे कि उन्हें यह डर कहीं कि उनका हत्यारा इतना निकट है। इधर हत्यारे ने सोचा, ‘‘ये कैसा आदमी है ? मैं हथियार लिए खड़ा हूं। इस पर कोई असर नहीं।’’
गुरुदेव की कविता जब समाप्त हुई उन्होंने दरवाजे की ओर दृष्टि डाली मानो कह रहे हों, अब मैं खुशी से मर सकता हूं लेकिन यह क्या हत्यारे ने चाकू फैंक दिया और चरणों में बैठकर रोने लगा।