Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 May, 2020 06:42 AM
ज्येष्ठ के महीने में जितना हो सके जल का दान करें। निसहाय जन को धूप व गर्मी से बचने हेतु छाता, चप्पल आदि का दान अवश्य करें। गरीबों और ज़रूरतमंदों को अपनी स्वेच्छा से मतिरा, खरबूजा, शरबत आदि दान करें।
Jyeshtha Maas 2020: ज्येष्ठ महीने में आपके द्वारा किए गए दान में कोई स्वार्थ, आडंबर, आकांक्षा और न ही किसी प्रकार की आशंका होनी चाहिए क्योंकि जहां शंका है वहां विश्वास नहीं है और अगर ईश्वर पर विश्वास ही नहीं तो श्रद्धा और भक्ति कैसी। निस्वार्थ भाव से की गई सच्ची सेवा से सभी तरह के कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं।
ज्येष्ठ के महीने में जितना हो सके जल का दान करें। निसहाय जन को धूप व गर्मी से बचने हेतु छाता, चप्पल आदि का दान अवश्य करें। गरीबों और ज़रूरतमंदों को अपनी स्वेच्छा से तरबूज, खरबूजा, शरबत आदि दान करें। पक्षियों के लिए छत अथवा बालकनी में जलपात्र व दाने की व्यवस्था करें। ज्येष्ठ महीने में किया गया दान देवगण व पितृगण तक को तृप्त कर देता है।
पीपल को जल चढ़ाएं, पंचामृत चढ़ाकर गंगाजल से स्नान कराएं, मौली लपेटें, जनेऊ अर्पण करके, गौमती चक्र, लघु श्रीफल अर्पण करके तिलक पर पुष्प चढ़ाएं, धूप-दीप, नैवेद्य, खीर, इमरती का भोग लगाएं। फल चढ़ाकर दक्षिणा अर्पण कर नमस्कार करें। इसके बाद खड़े होकर पीपल पर सूत लपेटते हुए रुद्राक्ष की माला से पितृ गायत्री मंत्र का जाप करते हुए परिक्रमा करें और अपने पितरों को हृदय से नमस्कार करें।
मंत्र: ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात् ।।