Edited By Niyati Bhandari,Updated: 29 Apr, 2024 03:31 PM
धार्मिक दृष्टि से वैशाख का महीना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस महीने में पड़ने वाली एकादशी बेहद खास होती है क्योंकि वैशाख माह और एकादशी व्रत श्री
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Varuthini ekadashi: धार्मिक दृष्टि से वैशाख का महीना बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस महीने में पड़ने वाली एकादशी बेहद खास होती है क्योंकि वैशाख माह और एकादशी व्रत श्री हरि को समर्पित हैं। वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। यह भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए सबसे पुण्यदायक एकादशी मानी गई है। इस दिन व्रत, पूजा-पाठ करने से घर-परिवार सुख-संपत्ति से भर जाता है। वहीं इस साल एकादशी पर बेहद ही दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। जिससे ये एकादशी और भी खास बन गई है। तो आइए जानते हैं साल 2024 की वरुथिनी एकादशी की तिथि, विष्णु पूजा का शुभ मुहूर्त और शुभ योग के बारे में...
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 03 मई को रात 11 बजकर 24 मिनट पर होगा। और इस तिथि का समापन अगले दिन 04 मई को रात 08 बजकर 38 मिनट पर होगा। उदया तिथि के चलते वरुथिनी एकादशी का व्रत 04 मई, दिन शनिवार को रखा जाएगा। बता दें कि इस दिन विष्णु पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 18 मिनट से लेकर 08 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। 05 मई, दिन रविवार को वरुथिनी एकादशी का पारण किया जाएगा। जिसका शुभ समय प्रातःकाल 05 बजकर 37 मिनट से लेकर 08 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
इस साल वरुथिनी एकादशी पर बेहद ही दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है। इस दिन इंद्र योग, वैधृति योग और त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन इंद्र योग सुबह 11 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। इसके बाद वैधृति योग शुरू हो जाएगा और त्रिपुष्कर योग रात को 08 बजकर 38 मिनट से लेकर 10 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि इंद्र योग में व्रत और पूजा-पाठ करने से आपके रुके हुए काम पूरे होते हैं और देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
बता दें कि पुराणों में बताया गया है कि जितना पुण्य कन्या दान और वर्षों तक तप करने पर मिलता है, उतना ही पुण्य वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से मिलता है। यह एकादशी सौभाग्य देने वाली, सब पापों को नष्ट करने वाली और अंत में मोक्ष देने वाली है। इस दिन व्रत करने से घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार वरुथिनी एकादशी का फल दस हजार वर्ष तक तप करने के बराबर होता है। वरुथिनी एकादशी के व्रत से व्यक्ति को अन्न दान और कन्यादान दोनों के बराबर फल मिलता है। भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें और साथ ही यथाशक्ति श्री विष्णु के मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करते रहें।