कल्पवास शुरू, ये है परंपरा और स्नान पर्व की तिथियां

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 11:29 AM

kalpavas start this is the tradition and dates of the bath festival

तीर्थराज प्रयाग में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल पर कल्पवास की परम्परा आदिकाल से चली आ रही है। इसका आरंभ 2 जनवरी को पौष पूर्णिमा के साथ हो चुका है। कुछ लोग मकर संक्रांति से भी कल्पवास आरंभ करते हैं। ऐसा माना जाता है कि, प्रयाग में सूर्य...

तीर्थराज प्रयाग में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल पर कल्पवास की परम्परा आदिकाल से चली आ रही है। इसका आरंभ 2 जनवरी को पौष पूर्णिमा के साथ हो चुका है। कुछ लोग मकर संक्रांति से भी कल्पवास आरंभ करते हैं। ऐसा माना जाता है कि, प्रयाग में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ शुरू होने वाले एक मास के कल्पवास से एक कल्प (ब्रह्मा का एक दिन) का पुण्य मिलता है।

PunjabKesari
कल्पवास का यह भी है महत्व
आदिकाल से चली आ रही इस परंपरा के महत्व की चर्चा वेदों से लेकर महाभारत और राम चरितमानस में अलग-अलग नामों से मिलती है। आज भी कल्पवास नई और पुरानी पीढ़ी के लिए आध्यात्म की राह का एक पड़ाव है, जिसके जरिए स्वनियंत्रण और आत्मशुद्धि का प्रयास किया जाता है। बदलते समय के अनुरूप कल्पवास करने वालों के तौर-तरीके में कुछ बदलाव जरूर आए हैं लेकिन कल्पवास करने वालों की संख्या में कमी नहीं आई।

 

PunjabKesari
तुलसी व शालिग्राम की स्थापना
कल्पवास की शुरूआत के पहले दिन तुलसी और शालिग्राम की स्थापना और पूजन होता है। कल्पवासी अपने टैंट के बाहर जौ का बीज रोपित करता है। कल्पवास की समाप्ति पर इस पौधे को कल्पवासी अपने साथ ले जाता है। जबकि तुलसी को गंगा में प्रवाहित कर दिया जाता है।

 

PunjabKesari
इस साल माघ मेले की खास बातें
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन तट पर त्याग, तपस्या और वैराग्य के प्रतीक माघ मेले की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। 1797 बीघे में बस रहे माघ मेले का पहला स्नान पौष पूर्णिमा (2 जनवरी) से आरंभ हो गया है। इसी दिन से देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु मोक्ष की कामना लेकर कल्पवास शुरू कर चुके हैं। इस बार माघ मेले की एक खास बात यह है कि महाशिवरात्रि को छोड़कर सभी प्रमुख स्नान पर्व जनवरी में ही पड़ेंगे। साथ ही मकर संक्रांति और मौनी अमावस्या के स्नानपर्व 14 और 16 जनवरी पर पड़ रहे हैं।

PunjabKesari
ऐसे करते हैं कल्पवास
पौष कल्पवास के लिए वैसे तो उम्र की कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन माना जाता है कि संसारी मोह-माया से मुक्त और जिम्मेदारियों को पूरा कर चुके व्यक्ति को ही कल्पवास करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि जिम्मेदारियों से बंधे व्यक्ति के लिए आत्मनियंत्रण कठिन माना जाता है।

PunjabKesari
मिथिलावासियों का कल्पवास मकर से
मिथिलावासी मकर संक्रांति को काफी महत्व देते हैं, इसलिए वह मकर संक्रांति से ही माघ मेले में पहुंच जाते हैं और मकर संक्रांति से माघी पूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या काफी कम होती है।


ये हैं सुरक्षा इंतजाम
एस.एस.पी. आकाश कुलहरि ने बताया कि मेले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम रहेंगे। मेले में एस.टी.एस., बी.डी.एस., ए.एस.टी., स्निफर डॉग, पी.ए.सी. और एन.डी.आर.एफ . 
के साथ एस.डी.आर.एफ . की टीम भी तैनात रहेगी।

अन्य स्नान पर्व
14 जनवरी (मकर संक्रांति)
16 जनवरी (मौनी अमावस्या)
22 जनवरी (बसंत पंचमी)
31 जनवरी (माघी पूर्णिमा)
13 फरवरी (महाशिवरात्रि)

कल्पवास का बदलता स्वरूप
पौष पूर्णिमा से कल्पवास आरंभ होता है और माघी पूर्णिमा के साथ सम्पन्न होता है। एक माह तक चलने वाले कल्पवास के दौरान कल्पवासी को जमीन पर शयन (सोना) करना होता है। इस दौरान फलाहार, एक समय का आहार या निराहार रहने का प्रावधान है। कल्पवास करने वाले व्यक्ति को नियमपूर्वक 3 समय गंगा स्नान और यथासंभव भजन-कीर्तन, प्रभु चर्चा और प्रभु लीला का दर्शन करना चाहिए। कल्पवास की शुरूआत करने के बाद इसे 12 वर्षों तक जारी रखने की परंपरा है। 


हालांकि इसे अधिक समय तक भी जारी रखा जा सकता है। समय के साथ कल्पवास के तौर-तरीकों में कुछ बदलाव जरूर आए हैं। बुजुर्गों के साथ कल्पवास में मदद करते-करते कई युवा खुद भी कल्पवास करने लगे हैं। कल्पवासियों के शिविर तक मोबाइल की पहुंच हो गई है। हालांकि टी.वी. से कल्पवासी अब भी परहेज करते हैं। कई विदेशी भी अपने भारतीय गुरुओं के सान्निध्य में कल्पवास करने यहां आते हैं।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!