गुजरात की प्रेरणा पीठ निष्कलंकी मंदिर पर भीड़ का हमला, वी.एच.पी. का दावा हिंदू देवी-देवताओं की कई मूर्तियां तोड़ी

Edited By Mahima,Updated: 10 May, 2024 10:10 AM

mob attack on gujarat s prerna peeth nishkalanki temple

गुजरात के अहमदाबाद में पिराना स्थित प्रेरणा पीठ निष्कलंकी मंदिर पर समुदाय विशेष की भीड़ को लेकर वायरल हुए वीडियो को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वी.एच.पी.) ने दावा किया है कि यह  हमला पूर्व नियोजित था और हिंदू देवी-देवताओं की कई मूर्तियां तोड़ी गई हैं।

नेशनल डेस्क: गुजरात के अहमदाबाद में पिराना स्थित प्रेरणा पीठ निष्कलंकी मंदिर पर समुदाय विशेष की भीड़ को लेकर वायरल हुए वीडियो को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वी.एच.पी.) ने दावा किया है कि यह  हमला पूर्व नियोजित था और हिंदू देवी-देवताओं की कई मूर्तियां तोड़ी गई हैं। कहा जा रहा है इस घटना की सूचना मिलते ही अहमदाबाद ग्रामीण जिला थाना पुलिस और एसओजी, एलसीबी सहित पुलिस का काफिला भी तुरंत पिराना पहुंच गया था। उन्होंने स्थिति पर तुरंत काबू पा लिया।

मंदिर में डंडों के साथ घुसे उपद्रवी
वायरल हुए वीडियो में देखा जा सकता है कि भीड़ में ज्यादातर जालीदार टोपी पहने हुए हैं और वे मंदिर पर डंडों से हमला कर रहे हैं। कुछ ही देर में एक बड़ी भीड़ जमा हो गई और मंदिर में घुस कर तोड़फोड़ करने लगी। भीड़ के हाथों में लकड़ी और लोहे के डंडे भी दिखे। हमले का एक वीडियो विश्व हिंदू परिषद की गुजरात इकाई ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट किया है।

बता दें कि इस जगह को लेकर सालों से विवाद चलता आ रहा है। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि इस मंदिर की जगह दरगाह की है, जबकि हिंदू पक्ष इसे मंदिर होने की बात करता आ रहा है। इस बात को लेकर अफवाह उड़ी थी कि यहां से कुछ कब्रें हटा दी गई हैं। यह अफवाह फैलते ही स्थानीय मुस्लिमों की भीड़ वहां जमा हो गई थी।

मामला कोर्ट में विचाराधीन
गौरतलब है कि इस मामले को लेकर कोर्ट में केस चल रहा है। साल 2022 में इमामशाह दरगाह के ट्रस्ट की ओर से हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया था। उसमें कहा गया था कि असल में मूल धार्मिक स्थल हिंदुओं का है और संस्था ‘सतपंथियों’ की है। इमामशाह बावा रोजा ट्रस्ट ने हलफनामा दाखिल कर कहा था कि पिराना स्थित इस जगह पर 600 साल पुरानी मस्जिदें, दरगाह और मंदिर हैं। ट्रस्ट का कहना था कि यह कहना सही नहीं होगा कि यह स्थान मूल रूप से एक मुस्लिम संस्था है और एक हिंदू धार्मिक स्थल है।

यह भी कहा गया है कि ट्रस्ट के ट्रस्टियों में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग शामिल हैं। ट्रस्ट का यह दावा 1939 में निचली अदालत द्वारा अनुमोदित एक योजना के आधार पर किया गया है, जिसमें कहा गया है कि पिराना मंदिर हिंदू संत पंथियों की एक संस्था है। इसके अलावा कहा गया है कि सैयद ट्रस्टियों की ओर से धार्मिक स्थल को वक्फ संपत्ति घोषित करने की मांग की गई थी।

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