Edited By Jyoti,Updated: 12 Jan, 2020 05:47 PM
Happy Lohri: भारत में जितने राज्य है उतनी ही परंपराएं है। कहने का भाव है हर राज्य के आगे अलग-अलग प्रांत हैं। जिसके चलते हर प्रांत के लोगों का रहने-सहने का अलग ढंग,
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Happy Lohri: भारत में जितने राज्य है उतनी ही परंपराएं है। कहने का भाव है हर राज्य के आगे अलग-अलग प्रांत हैं। जिसके चलते हर प्रांत के लोगों का रहने-सहने का अलग ढंग, उनके द्वारा मनाएं जाने वाली त्यौहार विभिन्न है। मगर इनमें से एक चीज़ समान है कि चाहे कोई भी त्यौहार हो कोई भी परंपरा हो, उससे वातावरण में खुशी आती है। इन्हीं में से एक है लोहड़ी का त्यौहार जिसे देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है। परंतु आनंद और खुशियां का प्रतीक का त्यौहार पंजाब तथा हरियाणा में मुख्य रूप से मनाया जाता है। इसकी लोकप्रियता के कारण अब इसे भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाने लगा है। जिस तरफ़ देखो इस पर्व पर लोग झूमते नज़र आते हैं। कुछ मान्यताओं के अनसार ये दिन शरद ऋतु के समापन से भी जोड़कर देखा जाता है। इसे किसानों का आर्थिक रूप से नूतन वर्ष भी कहा जाता है। इस दिन शाम के समय लोहड़ी जलाई जाती है। साथ ही साथ लोग लोहड़ी की पवित्र अग्नि में मूंगफली, गजक, तिल, मक्का डालकर चारों तरफ़ परिक्रमा करते हैं और नाचते गाते हुए इस त्योहार का जश्न मनाया जाता है। पारंपरिक रूप से इस पर्व वाले दिन लोहड़ी की अग्नि में रवि की फसलों को अर्पित किया जाता है तथा सुख समृद्धि की कामना की जाती है। पंजाब में इस दिन लोग घरों में सरसों दा साग, मक्के की रोटी बनाई जाती है। नए विवाहित जोड़े और नवजात बच्चों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होता है। बहुत से लोग इस दिन अपने घरों में पैदा हुए बच्चों की लोहड़ी डालते हैं। जिसमें वो बड़ा सा आयोजन करते हैं।
लोहड़ी पर कैसे करें पूजन-
इस दिन पश्चिम दिशा में पश्चिम की तरफ़ ही मुख करके पूजा की जाती है। एक काले कपड़े पर महादेवी का चित्र स्थापित करके उनके आगे सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है। इसके बाद उन्हें सिंदूर, बेलपत्र तथा रेवड़ियों का भोग लगाया जाता है। फिर सूखे नारियल का गोला लेकर उसमें कपूर डालकर अग्नि जलाकर उसमें रेवड़ियां, मूंगफली व मक्का डाली जाती हैं। इसके बाद उस अग्नि की कम से कम 7 बार परिक्रमा ज़रूर करें। तथा ॐ सती शाम्भवी शिवप्रिये स्वाहा॥ मंत्र का जाप करें। कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन लोहड़ी आद्यशक्ति, श्रीकृष्ण व अग्निदेव के पूजन का पर्व है।
ऐसी कथा है कि सभी गोकुलवासी मकर संक्रांति की तैयारी में लगे थे और कंस बाल कृष्ण को मारने के लिए साजिश रच रहा था। कंस ने भगवान कृष्ण को मारने के लिए लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल में भेजा था। कृष्ण ने खेल-खेल में ही लोहिता राक्षसी को मार दिया। इस खुशी में मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया गया था।
यहां जानें इसका शुभ मुहूर्त-
लोहड़ी पूजा का शुभ मुहूर्त 13 जनवरी को शाम 5:45 बजे के बाद होगा। ज्योतिषियों ने बताया कि ऐसा इसलिए क्योंकि शाम 4:26 मिनट के बाद से 5:45 मिनट तक रोग काल रहेगा। ऐसे में यह त्योहार 5:45 बजे के बाद से मनाया जा सकेगा।