Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jul, 2017 10:50 AM
एक बार भगवान बुद्ध एक धनी के घर पर भिक्षा मांगने गए। धनी व्यक्ति ने कहा, ‘‘भीख मांगते हो, काम काज क्यों नहीं करते
एक बार भगवान बुद्ध एक धनी के घर पर भिक्षा मांगने गए। धनी व्यक्ति ने कहा, ‘‘भीख मांगते हो, काम काज क्यों नहीं करते, खेतीबाड़ी ही करो।’’
भगवान बुद्ध ने मुस्कुरा कर कहा, ‘‘खेती ही करता हूं, दिन-रात करता हूं और अनाज उगाता हूं।’’
उस धनी व्यक्ति ने पूछा, ‘‘यदि तुम खेती करते हो तो तुम्हारे पास हल बैल कहां है, अन्न कहां है?’’
भगवान बुद्ध ने कहा, ‘‘मैं अंत:करण में खेती करता हूं। विवेक मेरा हल और संयम और वैराग्य मेरे बैल हैं। प्रेम, ज्ञान और अहिंसा के बीज बोता हूं और पश्चाताप के जल से उन्हें सींचता हूं। सारी उपज, मैं विश्व को बांट देता हूं, यह मेरी खेती है।’’