Lunar eclipse November 2021: आज लगेगा चंद्र ग्रहण, पढ़ें महत्वपूर्ण जानकारी

Edited By Updated: 19 Nov, 2021 08:28 AM

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चन्द्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा ठीक पृथ्वी के पीछे उसकी पीछे की छाया में आ जाता है और ऐसा तभी होता है, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में स्थित हों। ऐसा ज्योमैट्रिक प्रतिबंध के कारण

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Lunar eclipse November 2021: चन्द्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा ठीक पृथ्वी के पीछे उसकी पीछे की छाया में आ जाता है और ऐसा तभी होता है, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में स्थित हों। ऐसा ज्योमैट्रिक प्रतिबंध के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। इस साल 2021 में लगने वाला यह आखिरी और समय लम्बी अवधी का चंद्रग्रहण होगा। यह ग्रहण कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि जो कि आज 19 नवंबर, 2021 शुक्रवार को लग रहा है। यह एक उपच्छाया चंद्रग्रहण होगा। उपछाया चंद्रग्रहण से तात्पर्य यह है कि जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश नहीं करता बल्कि उसकी उपछाया में प्रवेश कर वहीं से ही बाहर निकल जाता है। ऐसे ग्रहण में चंद्रमा आकार व उसके रंग पर भी कोई प्रभाव नहीं हो पाता बल्कि इसमें चंद्रमा पर एक धुंधली सी छाया मात्र ही नजर आ पाती है। यह उपछाया चंद्रग्रहण को भारत देश के अरुणाचल प्रदेश और असम राज्य के कुछ स्थानों पर ही देखा जा सकता है। इसके अलावा पूरे भारत देश में यह ग्रहण कहीं भी नहीं दिखाई देगा।  इसके अलावा यह ग्रहण पूर्वी एशिया, ब्रिटेन, अमेरिका, प्रशांत महासागर, ऑस्ट्रेलिया, अटलांटिक महासागर में भी दिखाई देगा।

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lunar eclipse in 2021 in india date and time: उपछाया चंद्रग्रहण का उपछाया से पहला स्पर्श सुबह 11:34 ए.एम

प्रच्छाया से पहला स्पर्श दोपहर 12:50 पीएम

परमग्रास उपछाया चंद्रग्रहण 2:33 पी.एम

प्रच्छाया से अंतिम स्पर्श 4:17 पी.एम

उपछाया से अंतिम स्पर्श 5:33 पी.एम
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खण्डग्रास की अवधि 3 घंटे 26 मिनट 24 सेकंड व उपछाया की अवधि 5 घंटे 59 मिनट की रहेगी। इतनी लंबी अवधि का उपछाया चंद्रग्रहण लगभग 580 वर्षों के बाद देखने को मिलेगा। इससे पहले ऐसा ग्रहण फरवरी 1440 में बना था व भविष्य में 8 फरवरी 2669 बनेगा। भारत देश के उपरोक्त बताये गये राज्यों में इसे 2:34 पी.एम पर देखा जा सकता है। जिसमें कि लगभग 97 प्रतिशत चंद्रमा पृथ्वी की छाया के द्वारा ग्रसित होगा। इस ग्रहण का सूतक काल नहीं लगेगा क्योंकि यह एक उपच्छाया चंद्रग्रहण है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार इस प्रकार के ग्रहण को ग्रहण की श्रेणी में मान्यता नहीं है। फिर भी वृष राशि में यह ग्रहण बनने के कारण वृषभ, तुला, मेष व वृश्चिक राशियों पर इसका विशेष प्रभाव बनेगा। इन राशि के जातकों को स्वास्थ्य व धन हानि के योग बन सकते हैं एवं कुंभ, मकर व मीन राशि वालों के जातकों के लिए धन लाभ व अचानक कहीं से लाभ व शुभ सूचना के योग बन सकते हैं।

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इस उपछाया चंद्रग्रहण के दौरान जिन भी राज्यों में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा वहां के लोगों को ग्रहण अवधि से पहले सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ में तुलसी या दूर्वा को रखना चाहिए व इस दौरान देव आराधना करनी चाहिए तथा ग्रहण समाप्ति के पश्चात यथाशक्ति दान इत्यादि जरूर करें। दान अपनी स्थिति व दान ग्रहण करने वाले पात्र की पात्रता के अनुसार ही देना चाहिए।

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Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM).

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