Edited By Jyoti,Updated: 01 May, 2022 02:53 PM
ब्रिटिश शासन काल के समय भारत के एक शहर में मैरी नामक एक मृदुभाषी और सेवाभावी नर्स थी, किंतु कुछ संकीर्ण विचारधारा के लोग मैरी के कैथोलिक होने के कारण उससे घृणा करते थे। वे
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ब्रिटिश शासन काल के समय भारत के एक शहर में मैरी नामक एक मृदुभाषी और सेवाभावी नर्स थी, किंतु कुछ संकीर्ण विचारधारा के लोग मैरी के कैथोलिक होने के कारण उससे घृणा करते थे। वे उसे राह पर चलते हुए परेशान करते थे। कोई उसे पत्थर मारता तो कोई गलत शब्दों से उसे संबोधित करता था। मैरी उस ओर कभी ध्यान नहीं देती और अपने सेवा कार्य में लगी रहती थी।
एक दिन वह अस्पताल जा रही थी, तभी एक युवक ने उसे अपशब्द कहते हुए एक बड़ा-सा पत्थर उसके ऊपर फैंका। पत्थर उसके सिर पर लगा, जिससे सिर फट गया और खून से मैरी के कपड़े भीग गए, किंतु मैरी ने किसी से इसकी शिकायत नहीं की और हमेशा की तरह अस्पताल जाती रही। कुछ दिनों बाद उस नगर में स्थित कोयला खान में विस्फोट हो गया। विस्फोट में घायल हुए मजदूरों को जब अस्पताल लाया गया तो मैरी ने उनकी बहुत सेवा की।
इनमें से कई वे लोग थे, जो मैरी का अपमान करते थे। मैरी ने उनके प्रति कोई बदले की भावना नहीं रखी। अब वे मैरी का सेवा भाव देखकर नतमस्तक हो गए थे। उन्हें अपने किए पर पछतावा हो रहा था। इन्हीं में वह युवक भी था, जिसने मैरी को पत्थर मारा था। आखिर एक दिन युवक मैरी के सामने रो दिया। जब मैरी ने उससे रोने का कारण पूछा तो वह बोला, ‘‘शायद आपने मुझे नहीं पहचाना दीदी, मैं वही हूं, जिसने आप पर पत्थर फैंका था।’’
मैरी ने स्नेह भरे शब्दों में कहा, ‘‘मेरे भाई, जब तुम यहां लाए गए थे, उसी समय मैंने तुम्हें पहचान लिया था।’’
युवक ने आश्चर्य से पूछा, ‘‘तो फिर आपने मेरी इतनी सेवा क्यों की?’’
मैरी उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोली, ‘‘क्योंकि मैं तुझमें अपना भाई देखती हूं।’’
युवक मैरी का जवाब सुन कर उसके पैरों में झुक गया और सदा के लिए उसका भाई बन गया। वास्तव में शोषित व्यक्ति द्वारा क्षमा करने से अपराधी मनुष्य को अपने द्वारा किए गए गलत कार्यों का प्रायश्चित होता है और वह भी एक अच्छे आदमी के रूप में तब्दील हो सकता है।