Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Nov, 2018 01:23 PM
किसी जातक के जीवन में आने वाली समस्याओं तथा अनुकूल व प्रतिकूल समय को जानकर उसे लाभ उठाने योग्य बनाना ही मुहूर्त ज्योतिष का काम है।
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किसी जातक के जीवन में आने वाली समस्याओं तथा अनुकूल व प्रतिकूल समय को जानकर उसे लाभ उठाने योग्य बनाना ही मुहूर्त ज्योतिष का काम है। ज्योतिष शास्त्र में स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि कोई जातक अगर मुहूर्त देखकर कार्य करता है तो सफलता उसके कदम चूमती है।
अच्छे समय पर प्रारंभ किया गया काम आधा वैसे ही पूरा हो जाता है। वास्तव में जिस प्रकार दिन रात के 24 घंटों के बीच 12 राशियां विचरण करती हैं, उसी तरह दिन और रात के मध्य 30 मुहूर्त विचरण करते हैं। ये मुहूर्त अपने नाम और गुण के अनसुार अपने मध्य किए गए कार्यों का फल देते हैं। यहां तक कि मुहूर्तों के मध्य जन्म लेने वाला जातक सफलता के चरम पर होता है जबकि अशुभ मुहूर्त में पैदा जातक जीवन भर संघर्ष करता दिखाई पड़ता है।
अत: जन्म पत्रिका देखकर फलादेश करते समय अगर जातक के जन्म के समय के मुहूर्त पर भी ध्यान दिया जाए तो फलादेश और सटीक होगा तथा उसमें दुर्बलता भी होगी।
वास्तव में एक दिन के 24 घंटों में 30 शुभ-अशुभ मुहूर्त (15 दिन में और 15 रात में) होते हैं। गिरीश, भुजंग, मित्र, पितृ, वषु, अंबु, विश्वेदेवे, अभिजित, विधाता, इंद्र, इंद्र-अग्रि (इंद्राग्रि) निर्ऋति (राक्षस), उदगनाथ (जल), अर्यमा व भग दिन के मुहूर्त हैं जो अपने गुण व स्वभाव के आधार पर ही फल देते हैं। इसी प्रकार शिव, अजपाद, अहिर्बुधन्य, पूषा, अश्विनी कुमार, यम, अग्रि, ब्रह्मा, चंद्र, अदिति, बृहस्पति, विष्णु, सूर्य, त्वष्टा और मरुत रात के मुहूर्त हैं।
इन मुहूर्तों की बड़ी विशेषता यह है कि जिन दिन जिस नक्षत्र में जो कर्म कहा गया है अगर वह करना संभव न हो तो उस नक्षत्र के स्वामी के मुहूर्त के समय में वह काम किया जा सकता है। मुहूर्त का इसलिए ही महत्व है और इसलिए ही मुहूर्त देखना आवश्यक है।
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