प्रदोष व्रत : इस समय करें शिव की आराधना एक साथ होंगी सभी इच्छाएं पूरी

Edited By Jyoti,Updated: 13 Jul, 2019 06:49 PM

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जैसे हर माह में विष्णु भगवान को समर्पित एकादशी का व्रत आता है ठीक उसी तरह हर माह में भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत व मासिक शिवरात्रि का व्रत आता है।

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जैसे हर माह में विष्णु भगवान को समर्पित एकादशी का व्रत आता है ठीक उसी तरह हर माह में भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत व मासिक शिवरात्रि का व्रत आता है। यूं तो सोमवार शिव जो का दिन है, जिस कारण इस पावन दिन शिव जी का पूजन करना अति शुभदायी और लाभदायक माना जाता है। मगर कुछ धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर रविवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ता है तो कई गुना ज्यादा शुभ माना जाता है बल्कि कहा जाता है इस दिन व्रत करने से जातक को सैकड़ो गुना अधिक फल प्राप्त होता है। हिंदू धर्म के शास्त्रों में कहा गया है कि महाशिवरात्रि व सावन का व्रत करने जो फल प्राप्त होता है वही फल रविवारीय प्रदोष व्रत रखने से प्राप्त होता है।
PunjabKesari, Pradosha Fast, प्रदोष व्रत, शिव जी, भोलेनाथ, शिवलिंगचलिए जानें इससे जुड़ी खास जानकारी-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शिव जी की पूजा के लिए सबसे उत्तम व पावन समय प्रदोष काल होता है। बता दें कि दिन के अंत और रात्रि के आगमन के बीच के समय को प्रदोष काल कहा जाता है। जो भी जातक इस अवधि में शिव जी की पूजा करता है उसे फल अनंत गुना बढ़ता है व उस साधक की हर इच्छा पूरी होती है।
 

दूर होती है दरिद्रता
‘प्रदोष स्तोत्र’ में कहा गया है- अगर दरिद्र व्यक्ति प्रदोष काल में भगवान गौरीशंकर की आराधना करता है तो वह धनी हो जाता है, दीर्घायु प्राप्त होती है, सदैव निरोग रहता है एवं राजकोष की वृद्धि होती है।
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इस विधि से प्रदोष काल में शिव पूजा
सूर्यास्त के 15 मिनट पहले स्नान कर धुले हुए सफ़ेद वस्त्र पहनकर- शिवजी को शुद्ध जल से फिर पंचामृत से स्नान कराएं, पुन: शुद्ध जल से स्नान कराकर, वस्त्र, यज्ञोपवीत, चंदन, अक्षत, इत्र, अबीर-गुलाल अर्पित करें। मंदार, कमल, कनेर, धतूरा, गुलाब के फूल व बेलपत्र चढ़ाएं, इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल व दक्षिणा चढ़ाकर आरती के बाद पुष्पांजलि समर्पित करें।

शिव प्रार्थना मंत्र-
‘भवाय भवनाशाय महादेवाय धीमते।
रुद्राय नीलकण्ठाय शर्वाय शशिमौलिने।।
उग्रायोग्राघ नाशाय भीमाय भयहारिणे।
ईशानाय नमस्तुभ्यं पशूनां पतये नम:।।
पूजन के बाद रुद्राक्ष की माला से 108 बार " ॐ नमः शिवाय" का जप करें।

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