Edited By Jyoti,Updated: 02 May, 2020 06:45 PM
लॉकडाउन के कारण हर साल की तरह इस बार मस्जिदें गुलजार नहीं होंगी और हर किसी को अपने घर में रहकर ही इबादत करनी होगी।
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लॉकडाउन के कारण हर साल की तरह इस बार मस्जिदें गुलजार नहीं होंगी और हर किसी को अपने घर में रहकर ही इबादत करनी होगी। क्योंकि मस्जिद में नमाज अदा करने की सूरत में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाएगा जिस कारण कोरोना के फैलने का खतरा बढ़ जाएगा।
हर किसी से ये गुजारिश की जा रही है, क्योंकि कोरोना के चलते पूरे देश में लॉकडाउन घोषित है। इसलिए सभी शासन प्रशासन के निर्देशों पर अमल करते हुए आम दिनों की तरह ही कोताही बरते बिना घरों में रहकर ही रमजान की इबादत करें। इसके अलावा जितनी हो सके गरीब बेसहारा लोगों की भरपूर मदद करें। बता दें इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमज़ान के इस पाक माह में जकात यानि देने का अधिक महत्व होता है।
प्रत्येक वर्ष रमजान माह शुरू होने के साथ ही बाज़ारों की रौनक देखते ही बनती थी, लेकिन इस बार कोरोना वायरस की वजह से रमजान की रौनकों को ग्रहण लग गया है। बाजार में सब कुछ बंद है। यहां तक कि सबसे अधिक भीड़भाड़ वाले इलाके दारुल उलूम चौक और मस्जिद रशीदिया पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है।
इफ्तार में हर दिन बढ़ेगा एक मिनट-
बताया जा रहा है रमजान का पहला रोजा 14 घंटे 39 मिनट का था। फिर पांच से छह रोजे गुजरने के बाद सहरी का वक्त हर दिन एक मिनट घटेगा, जबकि इफ्तार के वक्त में बढ़ोतरी होती चली जाएगी। ये भी कहा जा रहा है कि सहरी और इफ्तार के वक्त में एक मिनट की एहतियात रखनी ज़रूरी है।