Edited By Jyoti,Updated: 15 Dec, 2018 03:51 PM
ज्योतिष में शनिवार के दिन को शनि देव के साथ-साथ हनुमान जी को पूजा का भी विधान बताया गया है। इसलिए इस दिन बजरंगबली के मंदिरों में भी बहुत भीड़ देखने को मिलती है। तो चलिए जानते हैं
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ज्योतिष में शनिवार के दिन को शनि देव के साथ-साथ हनुमान जी को पूजा का भी विधान बताया गया है। इसलिए इस दिन बजरंगबली के मंदिरों में भी बहुत भीड़ देखने को मिलती है। तो चलिए जानते हैं पवनपुत्र के एक ऐसे मंदिर के बारे में, जहां अंजनीसुत रोज़ाना अपने होने का कोई न कोई प्रमाण देते हैं। बता दें कि इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां जो कोई भी जैसी भी मनोकामना लेकर आता है, हनुमान जी उसे ज़रूर पूरी करते हैं। तो चलिए जानें इस मंदिर के बारे में-
उत्तरप्रदेश के कानपुर में बजरंगबली का एक ऐसा मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां आने वाले हर व्यक्ति के बिगड़े काम बन जाते हैं। लोक मान्यता है कि ये मंदिर सैकड़ों वर्षो से यहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करता आ रहा है। लोगों का कहना है इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां आने वाले हर भक्त जब यहां से जाते हैं, तो अपने अंदर अजब-सी शक्ति महसूस करते हैं। बता दें कि ये यहां रहने वाले लोगों का नहीं बल्कि यहां आने वाले दूर से दूर से आने वाले भक्तों का कहना है।
तो चलिए आपको बहुत इंतज़ार न करवाते हुए हम आपको बता देते हैं कानपुर 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर को पनकी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां देशभर से लोग हनुमान जी के दर्शन करने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि पवनपुत्र हनुमान का ये मंदिर बेहद प्राचीन है, अगर लोक मान्यता पर यकीन किया जाए तो ये मंदिर कम से कम 400 साल पुराना है। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि इसकी स्थापना महंत पुरुषोत्तमदासजी ने की थी। इसके बारे में पौराणिक कथा प्रचलित है कि महंत जी एक बार चित्रकूट से लौट रहे थे तभी जिस स्थान पर पनकी का मंदिर है, वहां पर उन्हें एक चट्टान दिखी जिस पर बजरंग बली को देखा जा सकता था। बस, उन्होंने तब ही उस स्थान पर मंदिर का निर्माण करने का फैसला कर लिया और यहां मंदिर का निर्माण करवा दिया।
लोक मान्यता
यहां 22 वर्षों से लगातार पनकी मंदिर आकर बाबा के दर्शन करने वाला एक भक्त के कहना है कि जब तक वे दिन में एक बार बाबा के दर्शन न कर ले, उनका दिन ही पूरा नहीं होता है। इनका ये भी कहना है कि कितनी भी समस्या क्यों न हो, बजरंग बली बाबा के दर्शन करने के बाद जब वे घर की ओर वापस जाते हैं तो उनके मन में शांति रहती है और अपने अंदर से अद्भुत शक्ति का भी अनुभव होता है। इसके साथ ही हर समस्या का समाधान भी मिल जाता है। ये बताते हैं कि वे 2 साल की उम्र से अपने पिता के साथ पनकी मंदिर आ रहे हैं, तब से आज तक कोई ऐसा दिन नहीं, जब वे यहां बजरंग बली के दर्शन को न आएं हों।
मंदिर के महंत के अनुसार
पनकी मंदिर के महंत के अनुसार ये मंदिर अस्तित्व में कब आया, इसकी जानकारी किसी को नहीं है। परंतु कुछ मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि ये मंदिर महाभारतकाल से अस्तित्व में आया और उसी ज़माने से यहां बुढ़वा मंगल का आयोजन भी किया जाना शुरू हुआ।
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