Kundli Tv- पितृपक्ष विशेष: गया स्थान किस असुर के नाम पर बना है

Edited By Jyoti,Updated: 27 Sep, 2018 02:11 PM

religious place of bihar

श्रादपक्ष के दौरान हिंदू धर्म के ज्यादातर तीर्थस्थलों पर भीड़ देखने को मिलती है। इन धार्मिक स्थलों में सबसे ज्यादा महत्व बोधगया को दिया जाता है।

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श्रादपक्ष के दौरान हिंदू धर्म के ज्यादातर तीर्थस्थलों पर भीड़ देखने को मिलती है। इन धार्मिक स्थलों में सबसे ज्यादा महत्व बोधगया को दिया जाता है। बिहार का बोधगया तीर्थस्थल न केवल देश में बल्कि विश्व प्रसिद्ध है। इस धार्मिक स्थल पर भारत के लोग अपने पितरों का तर्पण करने आते ही हैं साथ ही विदेश से आने वाले लोग भी यहां अपने पितृ का तर्पण करने आते हैं। मान्यता के अनुसार गया जी में श्राद्धपक्ष यानि पितृपक्ष में मेला लगता है। जो हर वर्ष की तरह इस साल भी शुरू हो चुका है। कहा जाता है कि यह मेला पूर 17 दिन तक चलता है। देश-विदेश से यहां हज़ारों संख्या में लोग अपने पितृरों का पिंडदान कर उन्हें मोक्ष दिलवाने के लिए आते हैं।
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श्राद्ध 
हिंदू धर्म की मानें तो पितृपक्ष के दिनों में पितृ हमारे घर में ही रहते हैं और तर्पण के जरिए से तृप्त होते हैं। ज्योतिष गणना के अनुसार पितृपक्ष आश्विन कृष्णपक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या तक चलता है। पौराणिक मतानुसार पितरों के लिए श्रद्धा से श्राद्ध करना एक सर्वोत्तम काम माना जाता है। इसके बारे में कहा जाता है कि एक पुत्र का पुत्रत्व तभी सार्थक माना जाता है, जब वह अपने जीवन काल में जीवित माता-पिता की सेवा करे और उनके मरणोपरांत यानि उनकी मृत्यु के बाद उनकी मृत्यु तिथि अर्थात पितृपक्ष में उनका विधि-वत श्राद्ध करें।
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यहां जानें क्या है राक्षस गयासुर और गया का संबंध-
पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के मुताबिक भस्मासुर के वंश में गयासुर नामक राक्षस ने घोर तप कर ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त किया कि उसका शरीर देवताओं की तरह पवित्र हो जाए और लोग उसके दर्शन मात्र से अपने सभी पापों से मुक्त हो जाएं। जिसके बाद से स्वर्ग में अधर्मियों की संख्या बढ़ने लगी।
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इससे बचाव के लिए देवताओं ने गयासुर से यज्ञ के लिए पवित्र स्थल की मांग की। गयासुर ने पावन स्थान के बदले अपना शरीर देवताओं को दे दिया। यज्ञ के बाद गयासुर लेटा तो उसका शरीर पांच कोस में फैल गया। जिस कारण इस जगह को आगे चलकर गया का ना्म दे दिया गया। गयासुर ने सभी देवताओं से वरदान मांगा कि यह स्थान हमेशा लोगों को तारने वाला बना रहे। इसलिए गया को पिंडदान करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। जो भी लोग यहां किसी का तर्पण करने की इच्छा से पिंडदान करते हैं, उन्हें मुक्ति मिलती है। 

पिंडदान पूजा
गया में पिंडदान पूजा कराने के लिए कई आश्रम स्थापित हैं जैसे- भारत सेवा आश्रम, बंगाली सेवा आश्रम आदि। 
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