Kundli Tv- महाभारत का ये पात्र आज भी है ज़िंदा

Edited By Jyoti,Updated: 26 Nov, 2018 03:40 PM

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कुरूक्षेत्र का मैदान वह एतिहासिक व पौराणिक मैदान है जहां महाभारत के युद्ध में लाखों योद्धाओं ने अपनी जान गंवा दी। इन योद्धाओं में कर्ण से लेकर भीष्म पितामह तक के नाम शामिल हैं।

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कुरूक्षेत्र का मैदान वह एतिहासिक व पौराणिक मैदान है जहां महाभारत के युद्ध में लाखों योद्धाओं ने अपनी जान गंवा दी। इन योद्धाओं में कर्ण से लेकर भीष्म पितामह तक के नाम शामिल हैं। लेकिन आज हम आपको इनमें से किसी के बारे में नहीं बल्कि महाभारत के एक एेसे पात्र के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आज भी इस धरती पर जीवित है। जी हां, आपने सही पढ़ा। हम आज आपको महाभारत के उस योद्धा की कहानी बताएंगे जो पिछले 5000 साल से मुक्ति पाने के लिए भटक रहा है। तो चलिए जानते हैं कि कौन है वो और क्यों महाभारत के बाकि पात्रों की तरह उसे मुक्ति नहीं मिल पाई।
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मान्यताओं के अनुसार हिंदू धर्म का एक प्रमुख ग्रंथ महाभारत के रचियता वेद वेदव्यास जी है। महाभारत काल का एक वीर जिसके बारे में यह माना जाता है कि वह आज भी ज़िंदा है। इस महान वीर का नाम अश्वत्थामा है जो कि एक श्राप की वजह से ज़िंदा है। क्या सच में वो जिंदा है। इस बात का पता तो आपको पुरी कहानी पढ़ने के बाद ही चलेगा। 
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पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत के युद्ध की समाप्ति के बाद अश्वत्थामा ने पांडवों के पुत्रों का छल से वध किया था। जब पांडवों ने श्रीकृष्ण के साथ अश्वत्थामा का पीछा किया तो वे भाग गए। फिर भी जब अर्जुन ने उनका पीछा न छोड़ा तब अश्वत्थामा ने अर्जुन पर ब्रह्मास्त्र चला दिया। उससे बचने के लिए अर्जुन ने भी ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। लेकिन यह विनाशकारी सिद्ध होता इसलिए ऋषियों ने दोनों से अपने अस्त्र वापस लेने की विनती की। महर्षि के कहने पर अर्जुन ने अपना ब्रह्मास्त्र वापस लौटा लिया, लेकिन अश्वत्थामा को ब्रह्मास्त्र लौटाने का ज्ञान नहीं था। तब उन्होंने अपने अस्त्र की दिशा बदल कर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दिया। क्रोधित होकर भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा के माथे पर लगी मणि निकाल ली और कलयुग के अंत तक उन्हें पृथ्वी पर भटकने का श्राप दे दिया। इसलिए माना जाता है कि अश्वत्थामा आज भी जीवित है और धरती पर भटत रहा है। 
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मान्यता के अनुसार उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, पंजाब, कर्नाटक और मध्यप्रदेश आदि शहरों में अश्वत्थामा के होने का दावा भी होता है। पंरतु इनमें से एक जगह ऐसी भी है यहां लोगों का मानना है अश्वत्थामा आज भी यहां जंगलो में भटकता है। 

मध्यप्रदेश का एक छोटा सा गांव बुरहानपुर जहां के एक पहलवान का मानना है कि सुबह-सुबह जब वो टहलते-टहलते जंगल के पास पहुंचा और वो कसरत करने लगा तब उसने थोड़ी दूर किसी को खड़े देखा जो कि देखने में लंबा-चोड़ा था और उसे लड़ने के लिए पुकार रहा था। जब पहलवान उसे देखने आगे बढ़ा तो वो गायब हो गया। उसका मानना है कि वो ओर कोई नहीं अश्वत्थामा ही था। 
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हैरान करने वाली बात यह है कि यहां के लोगों का मानना है कि अश्वत्थामा हर पर्व पर गांव के पास में स्थित असीरगढ़ के किले में महादेव को जल अर्पित करने आता है और उनकी पूजा करता है। लोगों का कहना है कि मंदिर को खोलने के बाद वहां पिंडी पर फूल चढ़े मिलते हैं और उसके पैरों के बड़े-बड़े निशान भी यहां देखने को मिलते हैं। 
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