Edited By Lata,Updated: 05 Jun, 2019 01:05 PM
भगवान राम और रावण के हर किस्से के बारे में तो हर कोई जानता ही है और ये बात भी सब जानते ही हैं कि रावण को किस तरह से राम जी से हार का सामना करना पड़ा था।
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भगवान राम और रावण के ज्यादातर हर किस्से से तो हम वाकिफ़ है, इसी के साथ ये बात भी सब जानते ही हैं कि रावण को किस तरह से राम जी से हार का सामना करना पड़ा था। कई पौराणिक ग्रंथों से हमें ये पता चलता है कि राम को हराने के लिए रावण ने बहुत से यज्ञ किए थे। एक ओर ग्रंथ रामकियेन के अनुसार, मंदोदरी ने उमा से संजीवन यज्ञ का रहस्य जान लिया था, जिसके द्वारा अमृत प्राप्त होता है। तब हनुमान रावण का रूप धारण करके मंदोदरी के पास गया और उसे अपने बाहुपाश में बद्ध करके उसका सतीत्व नष्ट कर दिया, जिससे उसका यज्ञ असफल हो गया।
लेकिन क्या किसी को इस बात का पता है कि मंदोदरी की वजह से मारा गया था रावण। अगर नहीं तो चलिए जानते हैं इसके पीछे की कथा के बारे में।
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मान्यता के अनुसार सीता ने हनुमान से कहा था कि रावण के पास एक मायावी खड्ग है जिसकी पूजा मंदोदरी करती है। हनुमान ने मंदोदरी के पास जाकर झूठमूठ रावण की मृत्यु का समाचार सुनाया, जिससे वह शोक में चली गई। हनुमान ने उस स्थिति का लाभ उठाया और खडग लेकर वहां से भाग आए तथा उसे राम को दे दिया। इस प्रकार रावण को मारने में श्रीराम सफल हुए।रामकियेन में रावण के प्रयत्नों का वर्णन है जिसके अनुसार रावण संधि करके युद्ध टालना चाहता था। सेतु निर्माण के पहले रावण तपस्वी के रूप में राम के पास गया और युद्ध छोड़ देने का अनुरोध किया। महानाटक के अनुसार रावण ने अपने दूत लोहिताक्ष के द्वारा राम से कहा था कि परशुराम से प्राप्त हरप्रसादपरशु के बदले में सीता को लौटाने को तैयार हूं। इस प्रस्ताव का उल्लेख रामचंद्रिका में भी है। कुंभकर्ण के वध के बाद राम ने हनुमान के द्वारा रावण के पास एक पत्र भेजा जिसमें सीता को लौटाने तथा संधि करने का प्रस्ताव था। रावण राम का प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए तैयार था बशर्ते वह उसकी बहन को विरूपित करने वाले लक्ष्मण को बांधकर लंका भेज दे।
एक गुप्तचर राक्षस गीध बनकर वानर-सेना में घुस गया। वानरों ने उसे पहचानकर पकड़ लिया और खूब पीटा तथा लंका वापस भेज दिया। तब रावण एक सन्यासी बनकर राम के पास गया और राम से युद्ध न करने का अुनरोध करने लगा। परंतु राम का दृढ़ संकल्प देखकर वह वापस लौट आया। अध्यात्म रावण के अनुसार रावण की नाभि में अमृतकुंड था। विभीषण से यह रहस्य जानकर राम ने आग्नेय बाण से उसे सुखा दिया जिसके कारण बाद में रावण की मृत्यु हुई थी। यही बातें आनंद रामायण, रंगनाथ रामायण आदि में भी वर्णित है।
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